Imran Khan Announces to Resume Long March: पाकिस्तान (Pakistan) के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) ने एक बार फिर उनका लॉन्ग मार्च (Long March) (जिसे आजादी मार्च और हकीकी मार्च कहा जा रहा है) शुरू करने का एलान किया है. उनका लॉन्ग मार्च गुरुवार (3 नवंबर) को गोलीबारी कांड (Attempted Assassination of Imran Khan) के बाद बाधित हो गया था. पाकिस्तान के पंजाब प्रांत (Punjab Province) के वजीराबाद (Wazirabad) में राजनीतिक रैली (Political Rally) के दौरान उन पर जानलेवा हमला किया गया था. 


तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी प्रमुख इमरान खान ने कहा है कि आने वाले मंगलवार (8 नवंबर) से वह फिर से इस्लामाबाद की तरफ लंबा कूच शुरू करेंगे. इसी के साथ इमरान खान ने कहा है कि वह लॉन्ग मार्च वहीं से फिर शुरू करेंगे जहां उन्हें गोली मारी गई थी. उल्लेखनीय है कि इमराम खान पर वजीराबाद की अल्लाहू चौक पास हमला किया गया था. रिपोर्ट्स में बताया गया था कि हमलावरों ने उनके कंटेनर पास गोलियां चलाई थीं. 


क्या कहा इमरान खान ने?


पाकिस्तानी अखबार डॉन के मुताबिक, एक प्रेस वार्ता के दौरान इमरान खान ने कहा, ''हमने फैसला किया है कि हमारा मार्च मंगलवार को वजीराबाद की उसी जगह से फिर से शुरू होगा जहां मुझे और 11 अन्य को गोली मारी गई और जहां मोअज्जम शहीद हो गया.''


इमरान खान ने अपनी पार्टी के सोशल मीडिया अकाउंट से प्रसारित प्रेस रिलीज में कहा, ''मैं यहां (लाहौर में) हमारे मार्च को संबोधित करूंगा और हमारा मार्च अगले 10 से 14 दिनों के भीतर रफ्तार के हिसाब से रावलपिंडी पहुंच जाएगा.'' पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ प्रमुख खान ने आगे कहा कि एक बार जब मार्च रावलपिंडी पहुंच जाएगा तो वह वहां इसमें शामिल हो जाएंगे और खुद इसका नेतृत्व करेंगे.


हमले को लेकर इमरान ने किया था ये दावा


गुरुवार को हुए हमले में इमरान के दोनों पैरों में गोलियां लगी थी. इसके बाद उन्हें लाहौर के शौकत खानम अस्पताल में भर्ती कराया गया था. हमले के एक दिन बाद इमरान खान ने कहा था कि उन्हें पहले से मालूम था कि उन पर हमला होगा. जानलेवा हमले के बाद अपने पहले संबोधन में इमरान खान ने कहा था, ''रैली में जाने से एक दिन पहले मैं जानता था कि मेरे खिलाफ वजीराबाद या गुजरात में हत्या की साजिश रची जा रही थी.'' 


शुक्रवार (4 नवंबर) को इमरान खान ने कहा था कि पाकिस्तान में अब सत्ता बदलनी चाहिए, चाहे यह शांतिपूर्ण तरीके से बदले या क्रांति से. उन्होंने 1970 की ईरानी क्रांति और श्रीलंका के विरोध प्रदर्शनों का हवाला देते हुए यह बात कही थी. 


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