Pakistan: IMF ने दिखाया ठेंगा! कंगाल पाकिस्तान लगाएगा चीन से मदद की गुहार
Pakistan: पाकिस्तान आईएमफ से 6.5 अरब डॉलर के बेलआउट प्रोग्राम की नई किस्त लेना चाहता है. उधर, इमरान खान का विवाद उछलने से अमेरिका भी आईएमएफ से कर्ज दिलाने में पाक सरकार की कोई मदद नहीं कर रहा है.
Pakistan: पूर्व पीएम इमरान खान और पाक सेना में छिड़ी जंग के बीच कंगाल पाकिस्तान के डिफॉल्ट होने का खतरा बढ़ गया है. पाकिस्तान में सिविल वॉर जैसी स्थिति होने और अपनी शर्तों को पूरा ना कर पाने की वजह से अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने भी पाकिस्तान से किनारा कर लिया है. आईएमएफ से मिले झटके के बाद शहबाज सरकार अब प्लान बी पर काम करने जा रही है. कंगाल पाकिस्तान की सरकार अब भुगतान संतुलन के संकट को दूर करने के लिए अपने दोस्त चीन से एक बार फिर कर्ज मांगने की गुहार लगाने जा रहा है.
अमेरिका नहीं कर रहा पाक की मदद
दरअसल, पाकिस्तान आईएमफ से 6.5 अरब डॉलर के बेलआउट प्रोग्राम की नई किस्त लेना चाहता है. लेकिन, आईएमएफ ने पहले से ही उस पर कई शर्तें लगा रखी हैं. उधर, इमरान खान का विवाद उछलने से अमेरिका भी आईएमएफ से कर्ज दिलाने में पाक सरकार की कोई मदद नहीं कर रहा है. इस बुरी परिस्थिति में फंसा पाकिस्तान अब चीन से कर्ज लेने जा रहा है.
आईएमएफ ने अपनाई ये नीति
द न्यूज इंटरनेशनल ने सूत्रों के हवाले से कहा कि नीति निर्माताओं के पास डिफॉल्ट से बचने के साथ-साथ 220 मिलियन से अधिक लोगों की अर्थव्यवस्था को बंद करने के अन्य सभी तरीकों का पता लगाने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं बचा है.
सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान में गहराते राजनीतिक और आर्थिक संकट के बीच आईएमएफ ने 'इंतजार करो और देखो' की नीति अपनाई है. उनका कहना है कि या तो आईएमएफ कार्यक्रम को नौवीं समीक्षा के पूरा होने के बाद पुनर्जीवित करना होगा या कार्यक्रम को खत्म कर दिया जाएगा. हम नौवीं समीक्षा पूरी किए बिना आईएमएफ के साथ और डेटा साझा नहीं करेंगे.
आयात प्रतिबंधों की नीति
आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान (जो राजनीतिक उथल-पुथल का सामना कर रहा है) ने डिफॉल्ट को टालने के लिए अपनी अर्थव्यवस्था का प्रबंधन करने के लिए आयात प्रतिबंधों की नीति अपनाई है. आईएमएफ के साथ एक कार्यक्रम जारी रखने से आयात को कम करने और आर्थिक गतिविधियों को खोलने के लिए बहुपक्षीय, द्विपक्षीय और वाणिज्यिक धन से डॉलर का प्रवाह सुनिश्चित होगा.
विशेषज्ञ ने क्या कहा?
द न्यूज के अनुसार, इन सभी घटनाक्रमों को ध्यान में रखते हुए, स्वतंत्र अर्थशास्त्री अब सुझाव दे रहे हैं कि सरकार आईएमएफ कार्यक्रम को पुनर्जीवित करने का अंतिम प्रयास करे या स्पष्ट रूप से संघर्षरत अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए पाकिस्तान के सबसे करीबी सहयोगी चीन की ओर देखे. चीनी पीएम ली कियांग ने पिछले महीने अपने पाकिस्तानी समकक्ष शहबाज शरीफ को आश्वासन दिया था कि चीन वित्तीय स्थिरता बनाए रखने में पाकिस्तान का समर्थन करता है. चीन पहले ही पाकिस्तान को आर्थिक मदद दे चुका है.
पूर्व वित्त मंत्री और प्रसिद्ध अर्थशास्त्री डॉ. हाफिज ए पाशा ने कहा कि अगर आईएमएफ आगे नहीं बढ़ता है, तो पाकिस्तान के पास चीन से अनुरोध करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा कि वह इस्लामाबाद को पूर्ण संकट से बचाने के लिए कोई तंत्र तैयार करे. उन्होंने कहा कि एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (एआईआईबी) को पाकिस्तान को भुगतान संतुलन संकट को टालने में मदद करने के लिए एक साधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.
वित्त मंत्रालय के पूर्व सलाहकार डॉ. खाकान नजीब ने कहा कि बेशक देश ने मैक्रो स्थिरीकरण के लिए कई कदम उठाए हैं और आईएमएफ द्वारा 9वीं समीक्षा को पूरा करने का मार्ग प्रशस्त किया है. हालांकि, पाकिस्तान के कमजोर स्टेट बैंक की स्थिति को केवल 4.38 बिलियन अमरीकी डालर और भुगतान की स्थिति के अनिश्चित संतुलन को देखते हुए, आईएमएफ यह सुनिश्चित करने में अतिरिक्त सावधानी बरत रहा है कि वित्तपोषण की जरूरतें पर्याप्त रूप से पूरी हों.
पाक सरकार के इस दावे को किया खारिज
आईएमएफ ने पिछले हफ्ते कहा था कि लंबे समय से रुके नौवें समीक्षा बेलआउट पैकेज को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए पाकिस्तान को महत्वपूर्ण अतिरिक्त वित्तपोषण की आवश्यकता है. आईएमएफ ने पाकिस्तान सरकार के इस दावे को भी खारिज कर दिया कि उसने पहले से सहमत ऋण सुविधा के तहत धन जारी करने के लिए वैश्विक वित्तीय निकाय के साथ समझौते पर पहुंचने के लिए सभी शर्तों को पूरा किया है. इसमें कहा गया है कि बड़ी दक्षिण एशियाई अर्थव्यवस्था मंदी का सामना कर रही थी और गंभीर बाढ़ सहित कई झटकों से भी पस्त हो गई थी.
2008 के बाद से सबसे लंबा अंतर
6.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर के आईएमएफ पैकेज में से 1.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर की किस्त जारी करने के लिए एक कर्मचारी-स्तरीय समझौता नवंबर से विलंबित हो गया है, पाकिस्तान के लिए पिछले कर्मचारी-स्तरीय मिशन के लगभग 100 दिन बीत चुके हैं. कम से कम साल 2008 के बाद से यह सबसे लंबा अंतर है. वर्तमान में पाकिस्तान एक प्रमुख राजनीतिक के साथ-साथ आर्थिक संकट से जूझ रहा है. साथ ही, उच्च विदेशी ऋण, कमजोर स्थानीय मुद्रा और घटते विदेशी मुद्रा भंडार से जूझ रहा है.