Pakistan Pollution: चीन की मदद से प्रदूषण पर लगाम लगाएगा पाकिस्तान! लाहौर में चीनी टेक्नोलॉजी के दम पर आर्टिफिशियल बारिश करने का लिया फैसला
Pakistan Pollution: हाल के दशकों में दक्षिण एशिया में बढ़ते औद्योगीकरण ने घनी आबादी वाले क्षेत्रों में कारखानों, निर्माण गतिविधियों और वाहनों से निकलने वाले बढ़ते प्रदूषकों को बढ़ावा दिया है.
Pakistan Lahore Pollution: नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान की पंजाब सरकार ने वायु प्रदूषण कम करने के लिए लाहौर में चीन की मदद से आर्टिफिशियल बारिश (क्लाउड सीडिंग) का प्रयोग करने की योजना बनाई है. इस परियोजना पर 35 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है. यहां की कई खबरों में यह जानकारी दी गई है.
सरकारी एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस ऑफ पाकिस्तान (APP) ने मौसम विज्ञान विभाग के सूत्रों के हवाले से जानकारी दी कि लाहौर शुक्रवार (24 नवंबर) को एक बार फिर दुनिया के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों की सूची में शीर्ष पर रहा. सूत्रों ने बताया कि पंजाब की राजधानी लाहौर में औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AIQ) 356 दर्ज किया गया था.
पाकिस्तान का लाहौर सबसे प्रदूषित शहर
हाल के सालों में सर्दी के दौरान पाकिस्तान का लाहौर और भारत की राजधानी दिल्ली लगातार दुनिया के सबसे प्रदूषित शहर बने हुए हैं. संयोग से दिल्ली सरकार ने भी वायु प्रदूषकों को कम करने के लिए कृत्रिम बारिश का उपयोग करने की संभावना जताई है. द न्यूज इंटरनेशनल ने शुक्रवार को वित्त मंत्रालय के सूत्रों का हवाला देते हुए कहा कि लाहौर में गंभीर धुंध से निपटने के अपने प्रयास के तहत पंजाब सरकार प्रांतीय राजधानी में कृत्रिम बारिश कराने की योजना बना रही है. इस परियोजना की अनुमानित लागत 35 करोड़ रुपये है.
पाकिस्तान के कई लोगों ने उठाए सवाल
इस सप्ताह की शुरुआत में मुख्य मौसम विभाग के अधिकारी चौधरी असलम ने कहा था कि अगले महीने लाहौर में कृत्रिम बारिश कराए जाने की उम्मीद है और इसके लिए तैयारी चल रही है क्योंकि सरकार ने धुंध पर अंकुश लगाने के लिए कोशिशें तेज कर दिये हैं. बता दें कि पिछले चार महीनों में पाकिस्तान सरकार ने करीब छह अरब अमेरिकी डॉलर का कर्ज लिया है और अतिरिक्त कर्ज पाने के लिए उसकी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF)से बातचीत जारी है. आर्थिक स्थित ठीक नहीं होने के बावजूद कृत्रिम बारिश कराने पर इतनी बड़ी राशि खर्च करने के फैसले पर पाकिस्तान के कई लोग सवाल उठा रहे हैं.
लाइफ टाइम में 5 साल की कटौती
हाल के दशकों में दक्षिण एशिया में बढ़ते औद्योगीकरण ने घनी आबादी वाले क्षेत्रों में कारखानों, निर्माण गतिविधियों और वाहनों से निकलने वाले बढ़ते प्रदूषकों को बढ़ावा दिया है. ठंडे शरद ऋतु और सर्दियों के महीनों में समस्या अधिक गंभीर हो जाती है, क्योंकि तापमान उलटने से गर्म हवा की एक परत ऊपर नहीं उठ पाती है और प्रदूषकों जमीन के करीब रह जाती है. बढ़ते वायु प्रदूषण से दुनिया के सबसे प्रदूषित क्षेत्रों में से एक दक्षिण एशिया में प्रति व्यक्ति जीवन जीने की उम्र में 5 साल की कटौती हो सकती है.
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