इस्लामाबाद: पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों की बात करें तो ऐसा लग रहा है फिलहाल पाकिस्तान की अक्ल ठिकाने आ गई है. भारत और अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद पाकिस्तान ने आनन फानन में अपनी गलती सुधार ली है. पाकिस्तान पर भारत के बनाए दबाव का असर ये हुआ कि जिस मंदिर में कट्टरपंथियों ने चार अगस्त को तोड़फोड़ की थी, वो एक हफ्ते में दोबारा बनकर तैयार हो गया. मंदिर में अब चमचमाती नई मूर्ति लगा दी गई है. 


दरअसल एक मदरसे पर पेशाब करने के आरोप में गिरफ्तार आठ साल के अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चे को कोर्ट से जमानत मिलने के बाद स्थानीय भीड़ ने उग्र होकर मंदिर में तोड़फोड़ कर दी थी. बाद में पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाई तो 50 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई.


पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं. ऐसे में एक बार फिर हिंदू मंदिर को निशाना बनाए जाने को लेकर इमरान सरकार पर भारी दबाव बनाया गया. जिसका नतीजा ये हुआ कि एक हफ्ते के अंदर मंदिर को दोबारा तैयार करके हिंदू समुदाय को सौंप दिया गया.


पाकिस्तान में मंदिर पर हमला अल्पसंख्यकों के खिलाफ साजिश
बलूचिस्तान अवामी पार्टी (बीएपी) के नेता सीनेटर दानेश कुमार ने रहीम यार खान के भोंग इलाके में एक हिंदू मंदिर पर हुए हमले की निंदा की था और इस घटना को पाकिस्तान में रहने वाले अल्पसंख्यकों के खिलाफ साजिश करार बताया था. उन्होंने कहा था कि यह निंदनीय है कि पुलिस थाने से महज 2 किमी दूर स्थित मंदिर की सुरक्षा करने में विफल रही.


उन्होंने कहा कि इलाके के हिंदू समुदाय ने पुलिस को संभावित हमले की सूचना दी थी, लेकिन पुलिस ने कुछ नहीं किया. असामाजिक तत्वों ने मंदिर में प्रवेश किया और ना केवल तोड़फोड़ की, बल्कि सोने और अन्य कीमती सामानों को भी लूट लिया और फिर आग लगा दी.


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