(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Pakistan Debt: कंगाल पाकिस्तान कितना कंगाल है देख लीजिए, स्टेट बैंक ने जारी कर दिया वर्ष 2024 में कुल कर्ज का नया डेटा
Pakistan Debt: गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहे पाकिस्तान के ऊपर कर्ज का बोझ बढ़ता ही जा रहा है. पाकिस्तान स्टेट बैंक नए कर्ज के आंकड़े पेश किए हैं.
Pakistan Debt: पाकिस्तान इतना कंगाल हो चुका है, कि उसके पास अब कर्ज चुकाने के लिए भी पैसे नहीं हैं. पाकिस्तान का कर्ज इतना अधिक हो चुका है कि इसका सीधा असर अब पाकिस्तान की जनता पर पड़ रहा है. ऐसी हालात में पाकिस्तान की सरकार अब कर्ज देने वाले देशों में घूम-घूमकर कर्च चुकाने की समयसीमा बढ़ाने की मांग कर रही है. हालात इतने बुरे हो चुके हैं कि चीन के अलावा कोई भी दुनिया का देश अब पाकिस्तान को कर्ज देने के लिए तैयार नहीं है. ऐसे में पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) कड़ी शर्तों पर कर्ज लिया है. इसकी वजह से पाकिस्तान में महंगाई चरम पर पहुंच गई है.
अब पाकिस्तान के स्टेट बैंक ने पाकिस्तान के कुल कर्ज का नया डेटा जारी किया है. SBP के गवर्नर जमील अहमद ने बताया कि वित्त वर्ष 2025 के लिए पाकिस्तान के ऊपर 26.2 बिलियन डॉलर का कर्ज है. उन्होंने बताया कि पाकिस्तान को मित्र देशों से कर्ज चुकाने की समयसीमा में राहत मिली है, जिसके बाद पाकिस्तान बाहरी कर्जों को अधिक प्रभावी ढंग से चुकाने की कोशिश कर रहा है. नेशनल असेंबली स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में SBP के गवर्नर ने बताया कि मित्र देस 16 बिलियन डॉलर के कर्ज को चुकाने की समय सीमा में विस्तार करेंगे. ऐसी स्थिति में पाकिस्तान को अगले वित्त वर्ष जून 2025 तक सिर्फ 10 बिलियन डॉलर का कर्ज चुकाना है.
पाकिस्तान ने कितना चुकाया कर्ज
पाकिस्तान स्टेट बैंक के गवर्नर ने बताया कि चालू वित्त वर्ष 2024 के लिए पाकिस्तान ने पहले ही 1.5 बिलियन डॉलर के कर्ज का भुगतान कर दिया है. अगले वित्त वर्ष में अब पाकिस्तान को 8.5 बिलियन डॉलर के कर्ज का भुगतान करना है. उन्होंने बताया कि पिछले वित्त वर्ष 2023 में पाकिस्तान ने अपने कर्ज का 12.5 बिलियन डॉलर का भुगतान किया था, जबकि देश का बाहरी कर्ज 130 बिलियन डॉलर पहुंच गया था.
मध्य पूर्व में हुआ संघर्ष तो पाकिस्तान में बढ़ सकती है महंगाई
पाकिस्तान केंद्रीय बैंक के गवर्नर ने कहा कि घरेलू मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना पाकिस्तानी अर्थव्यस्था के लिए चुनौती बनी हुई है. उन्होंने अनुमान लगाया है कि बजटीय उपायों और उच्च ऊर्जा कीमतों की वजह से मुद्रास्फीति दर 13.5 फीसदी तक पहुंचने की उम्मीद है. गवर्नर ने इस तरह भी आगाह किया कि गेहूं की बढ़ती कीमतें और मध्य-पूर्व में संभावित संघर्ष महंगाई को और भी बढ़ा सकते हैं.
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