Imran Khan On India Pakistan: पाकिस्तान के पूर्व प्रधान मंत्री इमरान खान (Imran Khan) ने एक बार फिर भारतीय विदेश नीति (Indian Foreign Policy) की तारीफ की है. इमरान ने कहा कि भारत रूस से सस्‍ते में तेल ले रहा है. ये उनकी विदेश नीति का कमाल है...उनकी तरह हम भी चाहते थे कि पाकिस्‍तान भी सस्ता रूसी कच्चा तेल (Russian Crude Oil) खरीदे. लेकिन ऐसा हो नहीं सका, क्योंकि हमारी सरकार गिरा दी गई थी.


इमरान ने अपने मुल्‍क में व्‍याप्‍त गंभीर आर्थिक संकट के लिए मौजूदा हुकूमत को दोषी ठहराया और कहा कि वह इस बात से परेशान हैं कि उनका देश रियायती दर पर रूसी कच्चा तेल नहीं खरीद सका. इस्लामाबाद से इमरान खान ने एक वीडियो संदेश में कहा, "हम भारत की तरह सस्ता रूसी कच्चा तेल प्राप्त करना चाहते थे, लेकिन ऐसा नहीं हो सका, क्योंकि दुर्भाग्य से मेरी सरकार अविश्वास प्रस्ताव लाकर गिरा दी गई.'


पाकिस्‍तान में कंगाली से इमरान परेशान
बता दें कि इमरान खान ने पिछले साल फरवरी में मास्को में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की थी. उस वक्‍त रूस और यूक्रेन के बीच जंग शुरू हुई थी, इमरान के उन्‍हीं दिनों रूस चले जाने पर पश्चिमी देशों की मीडिया ने पाकिस्‍तान को निशाने पर ले लिया था. ग्‍लोबल एक्‍सपर्ट्स का कहना है कि इमरान यदि उस वक्‍त रूस न जाते तो उनके लिए अच्‍छा होता, क्‍योंकि उनके इस दौरे से अमेरिका नाराज हो गया था, बाद में पाक पर दवाब इतना बढ़ा कि खुद पाकिस्‍तानी सेना के चीफ इमरान के खिलाफ हो गए. इमरान को सत्‍ता से बेदखल कर दिया गया, प्रधानमंत्री की कुर्सी छिनने के बाद इमरान ने उसके लिए पाकिस्‍तानी सेना के चीफ बाजवा को दोषी ठहराया, और कहा कि मेरे साथ जो हुआ, उसमें बाजवा की साजिश थी.


भारत की बार-बार तारीफ कर रहे खान
इमरान अब फिर से पाकिस्‍तान का प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं. अपने भाषणों में वह भारत और मोदी सरकार का जिक्र करते रहते हैं. इससे पहले इमरान खान ने भारत की अर्थव्यवस्था की रफ्तार को स्वीकार करते हुए कहा था, 'दुनिया में नवाज के अलावा किसी और नेता के पास अरबों की संपत्ति नहीं है. मुझे एक ऐसे देश के बारे में बताएं जिसके प्रधानमंत्री या नेता के पास देश के बाहर अरबों की संपत्ति हो. यहां तक कि हमारे पड़ोसी देश में भी भारत के बाहर पीएम मोदी की कितनी संपत्ति है?”


उन्होंने रूस से सस्ता तेल खरीदने के पीएम नरेंद्र मोदी के फैसले की भी तारीफ करते हुए कहा, 'क्वाड का हिस्सा होने के बावजूद भारत ने अमेरिकी दबाव का सामना किया और अपने लोगों की सुविधा के लिए रूस से सस्ता तेल खरीदा. हमारी सरकार भी ऐसी स्वतंत्र विदेश नीति के जरिए तेल हासिल करने की कोशिश कर रही थी.'


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