Pakistan Imran Khan: पाकिस्तान की सियासत में फिर से भूचाल आ गया है. पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान के राजनीतिक करियर पर संकट के बादल गहरा गए हैं. इमरान खान को तोशखाना मामले में दोषी ठहराते हुए 3 साल की जेल की सजा सुनाई गई है. इसके अलावा एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया. इस सजा का असर ये हुआ है कि वो अब अगले 5 साल तक आम चुनाव नहीं लड़ सकते हैं. इस्लामाबाद की ट्रायल कोर्ट ने इमरान खान को गिरफ्तार करने का तुरंत आदेश दिया है.


पाकिस्तान में जब से इमरान खान को साल 2022 में प्रधानमंत्री के पद से हटाया गया है, तब से उनके ऊपर सैकड़ों मामले चल रहे हैं. ये पहली बार नहीं है, जब उन पर गिरफ्तारी की तलवार लटकी है. इसी साल 9 मई को इमरान खान को इस्लामाबाद हाई कोर्ट से अल कादिर ट्रस्ट से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार किया गया था. उन्हें नेशनल अकाउंटेबिलिटी ब्यूरो (NBA) और पाक रेंजर्स ने कोर्ट में जाने से पहले अरेस्ट कर लिया था. इसके बाद पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हुए.


पार्टी बनने के 22 साल बाद बने पीएम
इमरान खान क्रिकेटर से राजनेता बने है. उन्होंने साल 1996 में राजनीति के मैदान में कदम रखा. वहीं साल 1996 में ही उन्होंने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) पार्टी का गठन किया. इसके ठीक अगले साल यानी 1997 में उनकी पार्टी चुनावी मैदान में किस्मत आजमाने के लिए उतरी, लेकिन 1 फीसदी से भी कम वोट हासिल हुए और इस तरह से नेशनल असेंबली में एक भी सीट हासिल नहीं हो पाई.


इसके बाद वो लगातार राजनीति में सक्रिय रहे. इसके बाद पार्टी बनने के 22 साल बाद यानी 2018 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री वाले चुनाव में जीत हासिल की और नेशनल असेंबली की कई सीटों पर जीत हासिल की, जिससे इमरान खान को संसद के स्वतंत्र मेंबर के साथ गठबंधन बनाने की अनुमति मिल गई और 18 अगस्त को वो देश के प्रधानमंत्री बन गए.


इमरान खान पर चली गोली
इमरान खान के साल 2018 में प्रधानमंत्री बनने के बाद साल 2022 में उन्हें  सैन्य प्रतिष्ठान के साथ अपने घनिष्ठ संबंधों और अर्थव्यवस्था की नाजुक स्थिति के लिए विरोध का सामना करना पड़ा. इसके परिणामस्वरूप विरोधी पार्टियों ने विश्वास मत के जरिए इमरान खान को प्रधानमंत्री के पद से हटा दिया गया.


उन्हें 10 अप्रैल 2022 को प्रधानमंत्री के पद से हटाया गया, जो पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार हुआ था, जब किसी प्रधानमंत्री को विश्वास मत के जरिए हटाया गया था. इसके बाद लगातार विपक्षी पार्टियों के खिलाफ नारेबाजी और जुलूस निकालने लगे. इसी क्रम में पिछले साल नवंबर में लाहौर शहर से इस्लामाबाद तक जाने वाली काफिले में उनकी हत्या का प्रयास किया गया, जिसमें उन्हें तीन गोलियां मारी गई.


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