पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की कुर्सी पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं. उनके खिलाफ विपक्ष संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाने वाला है. लेकिन इससे पहले पाकिस्तान के 17 निर्दलीय सांसदों, जिनका संबंध जहांगीर खान तारीन की जेकेटी से है, ने पंजाब के मुख्यमंत्री को हटाने की मांग की है. इन 17 सांसदों की मांग है कि ये सत्ताधारी पीटीआई के साथ वापस आने को तैयार हैं, इसके लिए उन्होंने इमरान खान के आगे अपनी डिमांड रखी है. 


सूत्रों के मुताबिक सरकार की ओर से पंजाब के शिक्षा मंत्री डॉ मुराद रास ने जेकेटी ग्रुप के साथ चर्चा की है. समूह के सदस्यों से कहा गया था कि वे अपनी चिंताएं जाहिर कर सकते हैं या फिर वे प्रधानमंत्री इमरान खान और पंजाब के मुख्यमंत्री उस्मान बुजदार से भी सीधे बैठक कर सकते हैं. इस समूह के सदस्यों ने फिर अपनी मांग में कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री बुजदार को हटाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि वे पार्टी छोड़कर नहीं जाना चाहते लेकिन बुजदर को पद से हटाया जाना चाहिए.   


25 मार्च को बुलाई जाएगी बैठक


पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर विचार के लिए नेशनल असेम्बली की बैठक शुक्रवार को बुलाई जाएगी. वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद से इमरान की यह सबसे कठिन राजनीतिक परीक्षा होगी. नेशनल असेंबली के अध्यक्ष असद कैसर ने प्रधानमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर विचार करने के लिए 25 मार्च (शुक्रवार) को सदन का सत्र बुलाने की रविवार को घोषणा की थी.


पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के करीब 100 सांसदों ने आठ मार्च को नेशनल असेंबली सचिवालय को अविश्वास प्रस्ताव दिया था. इसमें आरोप लगाया गया है कि इमरान की अगुआई वाली पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) सरकार देश में आर्थिक संकट और मुद्रास्फीति के लिए जिम्मेदार है. विपक्ष का कहना है कि 14 दिनों के भीतर सत्र बुलाया जाना चाहिए, लेकिन गृह मंत्री शेख राशिद ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि विशेष परिस्थितियों के कारण इसमें देरी हो सकती है.


विपक्ष ने दी थी धरना-प्रदर्शन की धमकी


इस मामले में देरी 22 मार्च से संसद भवन में शुरू हो रहे इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के बहुचर्चित 48वें शिखर सम्मेलन के कारण हुई है. शुरू में, विपक्ष ने धमकी दी थी कि अगर सत्र समय पर नहीं बुलाया गया तो वह धरना प्रदर्शन करेगा. हालांकि बाद में संयुक्त विपक्ष ने यह कहते हुए अपने रुख में नरमी दिखाई थी कि पाकिस्तान के राजनीतिक उथल-पुथल के कारण (ओआईसी के) कार्यक्रम को प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा.


संसद का निचला सदन प्रधानमंत्री के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर 25 मार्च को विचार करेगा. अगर इस प्रस्ताव को सदन औपचारिक रूप से स्वीकार कर लेता है, तो तीन से सात दिनों के बीच मतदान कराया जाना चाहिए.


172 वोटों की जरूरत


सरकार और विपक्ष दोनों स्थिति को अपने-अपने अनुकूल बनाने के लिए भरसक कोशिश कर रहे हैं. 69 वर्षीय इमरान खान गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं और अगर कुछ सहयोगी दल पाला बदलने का फैसला करते हैं तो उन्हें हटना पड़ सकता है. क्रिकेट से राजनीति में आए खान को हटाने के लिए विपक्ष को 342 सदस्यीय नेशनल असेंबली में 172 वोटों की जरूरत है. इमरान की पार्टी के सदन में 155 सदस्य हैं और सरकार में बने रहने के लिए उन्हें कम से कम 172 सांसदों की जरूरत है. उनकी पार्टी बहुमत के लिए कम से कम छह राजनीतिक दलों के 23 सदस्यों का समर्थन ले रही है.


प्रधानमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान से पहले सत्तारूढ़ पार्टी के करीब 24 बागी सांसद खुलकर विरोध में उतर आए हैं, जबकि सरकार ने विपक्षी दलों पर सांसदों की खरीद-फरोख्त के आरोप लगाये हैं.


इमरान बोले- बागियों को माफ करने को तैयार


इस बीच, इमरान खान ने अपनी पार्टी के बागी सांसदों से कहा है कि यदि पार्टी में वापस आ जाते हैं तो वह उन्हें माफ करने को तैयार हैं. साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि जो बागी सांसद उनकी बातों पर ध्यान नहीं देते हैं उन्हें ‘सामाजिक बहिष्कार’ का सामना करने को तैयार रहना चाहिए. इमरान खान ने हालिया स्थिति को लेकर कोर ग्रुप से संपर्क किया है. उन्होंने अपने समर्थकों से कहा है कि अविश्वास प्रस्ताव गिर जाएगा.


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