वहीं कांग्रेस के सदस्य टेड पो ने कहा, ‘‘जम्मू-कश्मीर जैसी जगहों पर भारतीयों के खिलाफ और अफगानिस्तान में अपनी विदेश नीति के उद्देश्यों के आगे बढ़ाने के लिए पाकिस्तान ने छद्म युद्धों का इस्तेमाल किया है. यहां इसका मतलब हक्कानी नेटवर्क और तालिबान जैसे संगठनों को बढ़ावा देने से है. इसलिए यह एक छद्म युद्ध है.’’
आतंकवाद और परमाणु अप्रसार (न्यूक्लियर नॉन प्रॉलिफरेशन) के मुद्दे पर बनी सदन की विदेश मामलों की उपसमिति की एक सुनवाई में लॉन्ग वॉर जर्नल के संपादक बिल रोजियो ने कहा, ‘‘पाकिस्तान सरकार अपनी नीति को जारी रखे हुए है. यह एक ऐसी नीति है, जो हर चीज को भारत के साथ युद्ध के चश्मे से देखती है.’’ रोगिगो ने कहा कि दुर्भाग्यवश इनमें से कुछ जिहादी समूह भारत से लड़ने के लिए अफगानिस्तान में रणनीतिक पैठ बनाने के पाकिस्तान के प्रयासों का नतीजा हैं. ये समूह वापस पाकिस्तान को ही डस रहे हैं. कई समूहों ने पाकिस्तान पर ही हमला बोला है.
उन्होंने कहा, ‘‘दुर्भाग्यवश पाकिस्तान इस बात को पहचानने में सक्षम नहीं दिखाई देता है, जबकि वह तालिबान में चल रही उठापटक अैर पाकिस्तान में चल रहे आंदोलनों से लड़ रहा है. वह लश्कर-ए-तैयबा अैर कई अन्य समूहों के साथ अपने संबंध तब भी जारी रखे हुए है क्योंकि ये संगठन पाकिस्तान की रणनीतिक पैठ को मजबूत बनाने के लिए तैयार हैं.’’ रोगिगो ने कह, ‘‘जब तक पाकिस्तान सरकार, उसके नेता और उसकी खुफिया एजेंसी इसपर काबू नहीं कर पाते, तब तक यह समस्या दशकों तक बनी रहेगी.’’