नई दिल्ली: पाकिस्तान लाख दावे कर ले लेकिन हकीकत इससे जुदा है. पाकिस्तान में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है. पाकिस्तान के जाने माने अर्थशास्त्री हाफिज ए.पाशा ने दावा किया है कि कम आर्थिक वृद्धि और खाद्य मंहगाई के दो अंकों में होने के कारण ऐसा हो रहा है.
पाकिस्तान तहरीके इंसाफ (पीटीआई) सरकार के दो साल पूरे होने पर 1.8 करोड़ से ज्यादा लोग गरीबी रेखा के नीचे चले जाएंगे. पाशा ने कहा कि सरकार द्वारा करों में वृद्धि, ऊर्जा शुल्क में वृद्धि और मुद्रा के अवमूल्यन ने गरीबी बढ़ाने का काम किया है. पाशा की मानें तो अगले साल जून तक दस पाकिस्तानियों में से चार गरीब होंगे.
पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति में गिरावट आई है जिससे वहां के लोगों को मंहगाई का सामना करना पड़ रहा है. लोगों को सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है. बड़ी संख्या में लोग बेरोजागरी से जूझ रहे हैं. हाफिज ए.पाशा पाकिस्तान के पूर्व वित्त मंत्री व पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के पूर्व सलाहकार भी हैं उनका कहना है कि सरकार के पहले साल के समाप्त होने तक 80 लाख लोग पहले ही गरीबी की श्रेणी में चले गए हैं.
उन्होंने अनुमान जाहिर किया कि और एक करोड़ से ज्यादा लोग वर्तमान वित्त वर्ष के समाप्त होने पर गरीबी रेखा से नीचे चले जाएंगे. पाशा ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि आर्थिक वृद्धि दर और नष्ट होने वाले खाद्य पदार्थो की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि की वजह से स्थिति बहुत भयावह है. आर्थिक वृद्धि दर का हाल तो यह है कि यह देश की जनसंख्या दर के समान हो गई है.
वहीं योजना व विकास के संघीय मंत्री असद उमर का इस मामले पर कहना था कि उनके पास गरीबी के नवीनतम आधिकारिक आंकड़े नहीं हैं. उमर ने कहा कि पीटीआई सरकार ने गरीबी उन्मूलन के उपायों को तेज किया है, जिसका मकसद व्यापक अर्थिक समायोजन के प्रतिकूल प्रभाव से गरीबों और कमजोर लोगों की रक्षा करना है.