FATF ने दी पाकिस्तान को राहत, 4 साल बाद ग्रे लिस्ट से किया बाहर, कहा- टेरर फंडिंग को रोकने के लिए लड़ रहा देश
Grey List: पाकिस्तान के एफटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर होने पर उसकी मुश्किलें कम हो सकती हैं, लेकिन यह देखना होगा कि उसे वित्तीय मदद देने वाले देश, आईएमएफ और एशियाई विकास बैंक इससे कितने संतुष्ट होंगे.
Pakistan Out Of FATF Grey List: आतंकवाद के वित्तपोषण और धन शोधन पर वैश्विक निगरानी संस्था यानी फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से शुक्रवार (21 अक्टूबर) को बाहर कर दिया है. अब पाकिस्तान अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए विदेशी पैसे प्राप्त करने की कोशिश कर सकता है. FATF ने बयान जारी करते हुए कहा, पाकिस्तान "अब FATF की निगरानी प्रक्रिया के अधीन नहीं है, अपने AML/CFT (धन शोधन विरोधी और आतंकवाद विरोधी वित्तपोषण) प्रणाली को और बेहतर बनाने के लिए APG (एशिया/पैसिफिक ग्रुप ऑन मनी लॉन्ड्रिंग) के साथ काम करना जारी रखेगा." पाकिस्तान ने धन शोधन के खिलाफ प्रयासों को मजबूत किया है, वह आतंकवाद को मिल रहे वित्त पोषण से लड़ रहा है, तकनीकी खामियों को दूर किया गया है.
एफटीएफ ने पाकिस्तान के साथ निकारगुआ को भी ग्रे लिस्ट से हटा दिया है. साथ ही कॉल फॉर एक्शन वाली अपनी काली सूची में म्यांमार को डाल दिया है. वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) ने मनी लॉन्ड्रिंग और आंतकवाद के वित्तपोषण पर रोक लगाने में विफल रहने के बाद पाकिस्तान को जून 2018 में ग्रे लिस्ट में शामिल किया था. एफएटीएफ ने धनशोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने में कानूनी, वित्तीय, नियामक, जांच, न्यायिक और गैर-सरकारी क्षेत्र की कमियों के चलते पाकिस्तान को निगरानी लिस्ट में डाला था. जून तक पाकिस्तान ने ज्यादातर कार्रवाई बिंदुओं को पूरा कर लिया था.
Pakistan out of FATF's grey list
— ANI (@ANI) October 21, 2022
Pakistan is "no longer subject to FATF's increased monitoring process; to continue to work with APG (Asia/Pacific Group on Money Laundering) to further improve its AML/CFT (anti-money laundering & counter-terrorist financing) system," states FATF pic.twitter.com/kFp9biqVNG
क्यों ग्रे लिस्ट में था पाकिस्तान
पाकिस्तान के कुछ बिंदु अधूरे रह गये थे, जिनमें जैश-ए-मोहम्मद (JEM) प्रमुख मसूद अजहर, लश्कर-ए-तैयबा (LET) के संस्थापक हाफिज सईद और जकीउर रहमान लखवी समेत संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने में असफलता शामिल थी. अजहर, सईद और लखवी भारत में कई आतंकी हमलों में शामिल होने के लिए मोस्ट वाटेंड आतंकवादी है. इनमें मुंबई में आतंकवादी हमला और 2019 में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) की बस पर हमला शामिल है.
ऐसे पाकिस्तान हुआ ग्रे लिस्ट से बाहर
मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण पर पेरिस स्थित वैश्विक निगरानीकर्ता ने कहा था, ‘‘सिंगापुर के टी राजा कुमार की अध्यक्षता के तहत एफएटीएफ की पहली बैठक 20-21 अक्टूबर को होगी.’ ’पाकिस्तान ने 27 सूत्री कार्य योजना के तहत इन कमियों को दूर करने के लिए उच्च स्तरीय राजनीतिक प्रतिबद्धताएं जताई है. बाद में इन कार्रवाई बिंदुओं की संख्या बढ़ाकर 34 कर दी गई. पाकिस्तान को ‘‘ग्रे लिस्ट’’ से बाहर निकलने और ‘‘व्हाइट लिस्ट’’ में जाने के लिए 39 में से 12 वोट चाहिए थे. ‘‘ब्लैक लिस्ट’’ से बचने के लिए तीन देशों के समर्थन की जरूरत थी. पाकिस्तान के निगरानी सूची में बने रहने से इस्लामाबाद के लिए आईएमएफ, विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक (ADB) और यूरोपीय संघ से वित्तीय सहायता पाना कठिन हो गया था.
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