इस देश में पाकिस्तान ने भेजे 150 ISI एजेंट, जासूसी को लेकर बड़ा खुलासा
पाकिस्तान और अफगानिस्तान में तनाव बढ़ रहा है और इसी बीच आईएसआई की खुफिया गतिविधियों का खुलासा हुआ है.
Pakistan-Afghanistan Tension: पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच हालिया तनाव ने नया मोड़ ले लिया है. अफगानिस्तान में पाकिस्तान के हवाई हमलों के बाद काबुल ने पाकिस्तान को उसकी संप्रभुता का सम्मान करने की चेतावनी दी है. इस बीच अफगानिस्तान के पूर्व उप-राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह के करीबी सूत्रों ने दावा किया है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) अफगानिस्तान के हवाई क्षेत्र की जासूसी कर रही है.
News18 की रिपोर्ट के अनुसार, स-आदत मोहम्मद, जो ISI का अधिकारी बताया जाता है, उसने अफगानिस्तान की एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) सिस्टम में घुसपैठ कर दिया है. मोहम्मद ने अफगानिस्तान के 4 प्रमुख एयरपोर्ट को संभालने वाली UAE की कंपनी GAAC के सिस्टम में घुसने की कोशिश की थी. उसने तालिबान के आंतरिक मंत्रालय और नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अंदर मुखबिरों और सहयोगियों का नेटवर्क तैयार किया है, जो उसे एयर रूट और फ्लाइट डिटेल जैसी संवेदनशील जानकारी पहुंचाता है.
अफगानिस्तान में ISI की मौजूदगी
एक अनुमान के मुताबिक काबुल में पाकिस्तानी दूतावास में 150 से अधिक ISI के एजेंट हैं. अमरुल्लाह सालेह और अफगानिस्तान ग्रीन ट्रेंड (AGT) का दावा है कि 2024 में काबुल में भारतीय राजनयिकों की मौजूदगी के बाद पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में अपनी खुफिया एजेंसी की ताकत लगभग दो गुना कर दी है. यह भी कहा जा रहा है कि ISI के कई एजेंट तालिबान सरकार के वरिष्ठ नेताओं और अधिकारियों के सीधे संपर्क में हैं.
खोस्त एयरपोर्ट की जासूसी
फरवरी 2024 में खोस्त प्रांत एयरपोर्ट के मैनेजमेंट के लिए एक कॉन्ट्रैक्ट पर साइन करने के लिए स-आदत मोहम्मद ने तालिबान से बातचीत की थी. हालांकि, तालिबान ने इस तरह की व्यवस्था में रूचि नहीं दिखाई थी. बाद में मोहम्मद ने गुप्त समझौते के तहत खोस्त एयरपोर्ट में पेशेवरों की नियुक्ति की पेशकश की, जिससे फ्लाइट डिटेल और अन्य तरह के एक्टिविटी से जुड़ी जानकारी सिक्रेट तौर पर ISI को भेजी जा सके.
दक्षिण एशिया में तनाव बढ़ने की संभावना
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच बढ़ता तनाव और ISI की खुफिया गतिविधियां क्षेत्रीय स्थिरता के लिए गंभीर चिंता का विषय हैं. अफगानिस्तान में पाकिस्तानी एजेंसी की जासूसी से दोनों देशों के संबंध और अधिक बिगड़ सकते हैं, जिससे दक्षिण एशिया में तनाव और बढ़ने की संभावना है.
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