Pakistan Missile Programme: अमेरिका ने पाकिस्तान के बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम पर बैन लगाए हैं. इस कदम को पाकिस्तान ने भेदभावपूर्ण और क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया है. उन्होंने इसकी तीखी निंदा की है.पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इसे अस्वीकार्य करार दिया है. मामले पर पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक नजम सेठी ने इस स्थिति पर चिंता जताई है. उनका कहना है कि केवल निंदा पर्याप्त नहीं है, बल्कि इस फैसले के दीर्घकालिक परिणामों पर विचार करते हुए ठोस रणनीति तैयार करनी होगी. उन्होंने यह भी आशंका जताई कि भविष्य में अमेरिका पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम पर सवाल खड़ा कर सकता है.


समा टीवी पर एक कार्यक्रम के दौरान, नजम सेठी ने ऐतिहासिक संदर्भों का जिक्र करते हुए बताया कि 50, 60 और 70 के दशक में पाकिस्तान अमेरिका का सहयोगी था क्योंकि उसके पास अन्य विकल्प नहीं थे. उस समय भारत रूस के साथ गठजोड़ कर रहा था. आज, भारत और अमेरिका के बढ़ते संबंधों ने पाकिस्तान और अमेरिका के बीच की दूरी बढ़ा दी है. सेठी के अनुसार, अगर अमेरिका का दबाव बढ़ता है तो पाकिस्तान स्वाभाविक रूप से चीन की ओर झुकेगा.






चीन-पाकिस्तान संबंधों की मौजूदा स्थिति
हालांकि, सेठी ने यह भी स्वीकार किया कि चीन और पाकिस्तान के संबंध फिलहाल कुछ मुद्दों पर तनावपूर्ण हैं. इसमें कई सारे मुद्दे शामिल है, जिसकी वजह से दोनों देशों के संबंधों में हाल के दिनों में खटास देखने को मिली है, जो इस प्रकार है.



  • ग्वादर का मुद्दा: यह चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) का प्रमुख हिस्सा है, जहां कई समस्याएं बनी हुई हैं.

  • CPEC में अड़चनें: इन मुद्दों का समाधान नहीं होने से दोनों देशों के बीच तनाव बना हुआ है.


सेठी का मानना है कि यदि इन विवादों का समाधान होता है तो चीन पाकिस्तान के मिसाइल विकास कार्यक्रम में महत्वपूर्ण मदद कर सकता है.


अमेरिकी प्रतिबंध और मिसाइल कार्यक्रम का भविष्य
नजम सेठी ने कहा कि अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद पाकिस्तान का मिसाइल कार्यक्रम रुकेगा नहीं.उन्होंने स्पष्ट किया कि इस कार्यक्रम में कुछ रुकावटें जरूर आएंगी, लेकिन यह जारी रहेगा.


पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम पर ध्यान
सेठी के अनुसार, 2025 में अमेरिका और इजरायल का ध्यान मुख्य रूप से ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर केंद्रित रहेगा.यदि ईरान का परमाणु कार्यक्रम खत्म करने में अमेरिका सफल होता है तो 2026 में अमेरिका का पूरा ध्यान पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम पर केंद्रित हो सकता है.


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