भारत में अक्सर राजनीति में परिवारवाद को लेकर सवाल उठते रहते हैं. कई लोग कहते हैं कि राजनीति में जितना परिवारवाद भारत में है उतना दुनिया में कहीं नहीं है, लेकिन यह सच नहीं है. राजनीति में परिवारवाद आपको कई देशों में मिल जाएगा. आप अगर अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान में ही देखें तो यहां भी कुछ ऐसी ही कहानी मिलेगी. यहां का परिवारवाद भारत से कहीं ज्यादा नजर आता है. चलिए आपको बताते हैं आखिर कैसे हावी है परिवारवाद.


1. भुट्टो का परिवार


भुट्टो परिवार पाकिस्तान की राजनीति में काफी पुराना परिवार है. जुल्फिकार अली भुट्टो 1973 से 1977 तक पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे. इनकी बेटी बेनजरी भुट्टो थीं, जो 1988 में पहली बार पाकिस्तान की प्रधानमंत्री बनीं. हालांकि तब इन्हें जल्दी अपनी सीट गंवानी पड़ी. इसके बाद वह 1993 में फिर से पाकिस्तान की प्रधानमंत्री चुनी गईं. वह 1996 तक देश की प्रधानमंत्री रहीं. इनके अलावा इनके पति आसिफ अली जरदारी वर्ष 2008 से 2013 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे. इस तरह एक परिवार से 2 प्रधानमंत्री और एक राष्ट्रपति निकला. मौजूदा समय में आसिफ अली जरदारी और बेनजीर भुट्टो के बेटे बिलावल भुट्टो भी राजनीति में सक्रिय हैं और पाकिस्तान पिपुल्स पार्टी के अध्यक्ष हैं.


2. शरीफ परिवार से दो पीएम


भुट्टो के अलावा पाकिस्तान की राजनीति में शरीफ परिवार का भी दबदबा रहा है. इस परिवार के नवाज शरीफ के नाम एक अनोखा रिकॉर्ड दर्ज है. वह पाकिस्तान में सबसे ज्यादा तीन बार प्रधानमंत्री रह चुके हैं. सबसे पहले वह 1 नवंबर 1990 से 18 जुलाई 1993 तक प्रधानमंत्री रहे. इसके बाद 17 फ़रवरी 1997 से 12 अक्टूबर 1999 तक पीएम रहे. इसके बाद नवाज शरीभ 5 जून 2013 को तीसरी बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने. अब इमरान खान को सत्ता से बाहर करने के बाद इनके भाई शाहबाज शरीफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनने वाले हैं. इस तरह एक ही परिवार से यानी दो भाई पहली बार देश का प्रधानमंत्री बन रहा है. नवाज शरीफ की बेटी भी राजनीति में काफी सक्रिय हैं. वह अभी पाकिस्तान मुस्लिम लीग –एन की उपाध्यक्ष हैं.


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