Pakistan Missile Program: अमेरिका ने पाकिस्तान की लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल क्षमताओं के विकास को एक उभरते हुए सुरक्षा खतरे के रूप में चिन्हित किया है. अमेरिकी डिप्टी नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर जॉन फाइनर ने कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस में बोलते हुए कहा कि पाकिस्तान के मिसाइल विकास से उसकी रणनीतिक सोच में बड़ा बदलाव हो रहा है. उन्होंने चेताया "अगर ये जारी रहा तो पाकिस्तान अमेरिका सहित दक्षिण एशिया से बाहर के लक्ष्यों तक पहुंचने में सक्षम होगा."
पाकिस्तान के मिसाइल कार्यक्रम को रोकने के उद्देश्य से अमेरिका ने हाल ही में प्रतिबंधों का नया दौर शुरू किया है. इनमें पहली बार पाकिस्तान के सरकारी संस्थान राष्ट्रीय विकास परिसर (एनडीसी) और कराची की तीन निजी कंपनियों को शामिल किया गया है. इन कंपनियों पर मिसाइल विकास में सहयोग करने का आरोप लगाया गया है.
अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों में गिरावट
अफगानिस्तान से 2021 में अमेरिकी वापसी के बाद से अमेरिका-पाकिस्तान संबंध लगातार कमजोर हो रहे हैं. एक समय पर आतंकवाद के खिलाफ अमेरिकी साझेदार माने जाने वाले पाकिस्तान के इन प्रयासों को अब सुरक्षा के लिए खतरा माना जा रहा है. अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि पाकिस्तान ने उनके सवालों का संतोषजनक जवाब नहीं दिया.
पाकिस्तान की चीन पर बढ़ती निर्भरता और अमेरिका-भारत रक्षा साझेदारी ने दक्षिण एशिया में रणनीतिक अस्थिरता को और बढ़ा दिया है. जहां अमेरिका ने भारत के साथ रक्षा तकनीकी सहयोग को मजबूत किया है वहीं पाकिस्तान ने अपने मिसाइल कार्यक्रम को भारत के साथ तनाव के अलावा व्यापक अंतरराष्ट्रीय पहुंच के लिए सक्षम बनाना शुरू किया है.
अमेरिका के प्रतिबंधों को पाकिस्तान ने बताया 'भेदभावपूर्ण नीति'
अमेरिका के इन प्रतिबंधों को पाकिस्तान ने खारिज करते हुए इसे "भेदभावपूर्ण" बताया. पाकिस्तानी विदेश कार्यालय ने अपने बयान में कहा कि उनका मिसाइल कार्यक्रम पूरी तरह रक्षात्मक है और इसका उद्देश्य केवल भारतीय आक्रामकता को रोकना और क्षेत्रीय शांति बनाए रखना है. पाकिस्तान ने अमेरिका पर "दोहरी नीति" अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह भारत को उन्नत सैन्य तकनीक प्रदान कर रहा है जिससे क्षेत्रीय संतुलन बिगड़ सकता है.
भारत पर भी पड़ सकते हैं प्रभाव
पाकिस्तान के इस कदम का सीधा प्रभाव भारत की रणनीति पर पड़ सकता है. भारत को अपने मिसाइल कार्यक्रम जैसे अग्नि सीरीज और बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम को तेज करने की जरूरत हो सकती है. इसके अलावा पाकिस्तान की बढ़ती मिसाइल क्षमता भारत को अपनी परमाणु नीतियों, विशेष रूप से "पहले उपयोग न करने" की नीति पर पुनर्विचार के लिए मजबूर कर सकती है.
पाकिस्तान की मिसाइल प्रगति अमेरिका और भारत के बीच रक्षा सहयोग को और बढ़ावा दे सकती है. इससे उन्नत तकनीकी हस्तांतरण, खुफिया साझेदारी और सैन्य परियोजनाओं में सहयोग के नए रास्ते खुल सकते हैं. जानकारी के मुताबिक अमेरिका पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए कूटनीतिक प्रयास और प्रतिबंध जारी रखेगा. साथ ही वह अन्य देशों को भी पाकिस्तान के मिसाइल कार्यक्रम पर नजर रखने के लिए प्रोत्साहित करेगा. दूसरी ओर पाकिस्तान चीन पर अपनी निर्भरता बढ़ा सकता है जो उसके मिसाइल और परमाणु कार्यक्रमों में पहले से सहयोग करता रहा है.
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