Pakistan Politics: क्या है पाकिस्तान का 'आर्मी एक्ट' और 'ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट', जिससे खौफ में आया विपक्ष?
Pakistan Official Secrets, Army Act: पाकिस्तान में इन दिनों दो बिलों को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. आइए जानते हैं कि आखिर ये दोनों बिल क्या हैं.
Pakistan Politics: पाकिस्तान में विपक्ष का किस तरह से 'गला घोंटा' जाता है. दुनिया बखूबी इस बात को जानती है. यही वजह है कि इन दिनों दो कानूनों को लेकर खूब चर्चा हो रही है. इन कानूनों को विपक्ष के खिलाफ इस्तेमाल किए जाने वाले हथियार के तौर पर देखा जा रहा है. इसमें से एक 'ऑफिशियल सीक्रेट्स (अमेंडमेंट) बिल' और दूसरा 'पाकिस्तान आर्मी (अमेंडमेंट) बिल 2023' है.
जियो न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, पड़ोसी मुल्क में रविवार को सियासी पारा और भी ज्यादा चढ़ गया, जब राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने दोनों बिलों पर साइन करने की बात को नकारा. उन्होंने यहां तक दावा कर दिया कि उनके स्टाफ ने ही खुद इसे साइन कर भेज दिया है. हालांकि, राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद ये बिल कानून बन चुके हैं. अब ऐसे में आइए जानते हैं कि आखिर इन दोनों ही कानूनों में ऐसा क्या है, जिनकी वजह से विपक्ष में डर का माहौल है.
पाकिस्तान आर्मी (अमेंडमेंट) एक्ट क्या है?
आर्मी एक्ट के तहत आधिकारिक तौर पर हासिल की गई किसी भी जानकारी का खुलासा करने की इजाजत नहीं है. अगर किसी व्यक्ति ने खुफिया जानकारी को लीक किया और वह ऐसा करने का दोषी पाया गया, तो उसे पांच साल तक की सजा हो सकती है. आर्मी एक्ट के तहत अधिकारियों के जरिए ऐसी जानकारी को लीक करने से रोका जा रहा है, जो पाकिस्तान या सेना की सुरक्षा और हित के लिए खतरनाक है.
इस कानून के जरिए आर्मी चीफ को ज्यादा शक्तियां दी गई हैं. पूर्व अधिकारियों के रिटायरमेंट के दो साल तक राजनीति में आने पर रोक लगाई गई है. अगर कोई अधिकारी नियमों को तोड़ता है, तो उस पर 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया जा सकता है. सेना की आलचोना करने पर जेल की सजा का प्रावधान किया गया है. कानून में सेना को राष्ट्रीय विकास के कार्यों को करने की इजाजत भी दी गई है.
ऑफिशियल सीक्रेट्स (अमेंडमेंट) एक्ट क्या है?
ऑफिशियल सीक्रेट्स कानून के तहत सैन्य प्रतिष्ठानों की परिभाषा बड़ी कर दी गई है. व्लॉगर्स और ब्लॉगर्स भी कानून के दायरे में आ गए हैं, मतलब अगर उन्होंने कोई भी ऐसी जानकारी दी, जिसे खतरा माना गया, तो उन पर कार्रवाई की जाएगी. इस कानून के तहत खुफिया एजेंसी, खुफिया एजेंट या सोर्स का नाम खुलासा करने पर तीन साल की सजा होगी और एक करोड़ रुपये जुर्माना लगाया जा सकता है.
सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि सैन्य प्रतिष्ठानों, सेना के दफ्तरों या कैंप पर हमला घोर अपराध माना जाएगा. ये कानून फेडरल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (FIA) के अधिकारियों को ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट का उल्लंघन करने पर संदिग्धों की जांच करने का अधिकार देता है. दुश्मन की परिभाषा भी बदल दी गई है. अगर कोई कुछ ऐसी चीजें लिख देता है, जिससे सुरक्षा को खतरा है, तो उस पर भी इस कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी.
विपक्ष में डर का माहौल क्यों है?
दरअसल, ऐसा लगता है कि इन कानूनों को विपक्ष को ध्यान में रखकर ही लाया गया है. इमरान खान और शाह महमूद कुरैशी की गिरफ्तारी ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट के तहत ही हुई है. उनके ऊपर राजनीतिक फायदे के लिए राजनयिक जानकारी का खुलासा करने का आरोप है. इमरान समर्थकों ने 9 मई को सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमला किया था. इसके बाद इमरान समेत कई सारे नेताओं पर मुकदमा दर्ज किया गया. ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट के तहत अब इन सभी पर कार्रवाई की जा रही है.
आर्मी एक्ट के तहत अब आर्मी चीफ पहले से ज्यादा ताकतवर हो गए हैं. इसका मतलब है कि अगर वो चाहें, तो विपक्ष को बड़े आराम से काबू में कर सकते हैं. विपक्ष के नेता पाकिस्तानी सेना की लगातार आलोचना करते रहे हैं. इमरान तो इसमें सबसे आगे हैं. ऐसे में अब अगर किसी नेता ने पाकिस्तानी सेना को लेकर मुंह खोला, तो उनकी गिरफ्तारी निश्चित ही होगी. यही वजह है कि इन दोनों ही कानूनों को लेकर विपक्ष के नेताओं में डर का माहौल है.
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