'कलमा पढ़कर मुसलमान बन जाओ...' हिंदू सांसद को जबरन मजहब बदलने के लिए ऐसे ताने मारते हैं पाकिस्तानी नेता, संसद में बताई आपबीती
Pakistani Hindus: पाकिस्तान में हिंदू-अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित किया जाता रहा है. यहां तक कि संसद में बैठने वाले राजनेता भी बहुसंख्यकों के ताने झेलते रहते हैं. हाल ही एक सांसद ने आपबीती सुनाई.
Hindu MP in Pakistan Parliament: पाकिस्तान (Pakistan) में हिंदुओं पर जुल्म की खबरें आपने खूब पढ़ी होंगी. वहां केवल आम अल्पसंख्यक ही प्रताड़ित नहीं किए जाते, बल्कि जो राजनीति कर आम-ओ-खास हो गए हैं और जीत-जीतकर संसद पहुंचे हैं वे भी प्रताड़ना झेल रहे हैं. एक हिंदू सांसद दानिश कुमार का वीडियो सामने आया है, जिसमें वो बता रहे हैं कि किस तरह बहुसंख्यकों द्वारा अल्पसंख्यकों (हिंदुओं) को परेशान किया जाता है. उन्होंने आपबीती सुनाते हुए कहा, "मुझ पर इस्लाम कुबूलने के लिए दबाव बनाया जा रहा है."
पाकिस्तानी संसद में दानिश कुमार ने कहा कि मुझे साथी सांसद कहते हैं- "तुम कलमा पढ़कर मुसलमान बन जाओ". दानिश ने कहा कि मैं सुन-सुनकर उकता गया हूं. उन्होंने कहा, "जो लोग मुझसे इस्लाम कुबूल करने को कहते हैं मैं उनसे कहना चाहता हूं कि पहले आप उन शैतानों को इस्लाम का पालन करने के लिए कहें जो मुनाफाखोर हैं. फिर मेरे ऊपर आकर तबलीग करें."
'मुनाफाखोरों-जमाखोरों को सिखाएं इस्लाम'
दानिश बोले, "मैं चाहता हूं कि मुझसे ये वादा किया जाए कि जब तक ये उन लोगों (मुनाफाखोरों/जमाखोरों) से इस्लाम का पालन नहीं करवाते, तब तक मुझ पर तब्लीग नहीं करेंगे." दानिश ने यहां तक कहा कि हमें चैन से जीने दें और इस्लाम के उपदेश न दें. उन्होंने संसद में कहा कि जो लोग अपराधों में लिप्त हैं, पहले उन्हें इस्लाम सिखाओ फिर मेरा मजहब बदलने के लिए कहना.
बलूचिस्तान में बुनियादी सुविधाओं के लिए जूझ रहे लोग
बता दें कि दानिश कुमार बलूचिस्तान के नेता हैं, बलूचिस्तान पाकिस्तान के आधिपत्य वाला ऐसा क्षेत्र हैं जहां अवाम बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रही है. आजादी के बरसों बाद भी बिजली-पानी, यातायात की व्यवस्था दुरुस्त नहीं की जा सकी है. ऐसे में वहां आजादी की मांग उठती रहती है.
ज़ुल्म-ओ-सितम के साए में रह रहे यहां हिंदू!
पाकिस्तान 1947 से पहले तक भारत का ही हिस्सा था. मुस्लिम लीग और जिन्ना की मांग पर अंग्रेजों ने मुस्लिम बहुल क्षेत्रों को तोड़कर एक अलग मुल्क बना दिया था. नव-गठित मुल्क में हिंदुओं की बसावट भी थी, जब इस्लामी राष्ट्र की घोषणा हुई तो हिंदू, सिख और ईसाई संकट में आ गए. पलायन हुआ, मार-काट मची, तब लाखों लोग मारे गए. कत्ले-आम रुका तो अल्पसंख्यक प्रताड़ना के शिकार बनाए जाते रहे. आंकड़े बताते हैं कि 1947 में पाकिस्तान की आबादी में 20% से ज्यादा हिस्सेदारी हिंदुओं की थी, जो तेजी से घटी. अब वहां महज 30-35 लाख हिंदू होंगे, ये अनुमान पाकिस्तान की 2017 की जनगणना का है.
यूनाइटेड नेशंस ने जताई थी चिंता
UN के एक्सपर्ट्स की एक टीम ने जनवरी में पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों को लेकर एक रिपोर्ट जारी की थी. तब उन्होंने हिंदू लड़कियों के अपहरण, जबरन धर्मांतरण, छोटी उम्र में शादी करने जैसे मामलों को लेकर चिंता जाहिर की थी. रिपोर्ट्स में कहा गया कि वहां हर साल करीब हजार लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन करवाया जाता है.
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