(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
विदेशी साजिश, पुराने राजनेता गद्दार... इमोशनल इमरान खान के आरोपों पर उठ रहे ये पांच बड़े सवाल
पाकिस्तान में इमरान का गेम अब ओवर हो चुका है. ये इमरान भी समझ चुके हैं, इसलिए वो विपक्ष से डील की कोशिश भी कर रहे हैं, और जनरल बाजवा को भी मनाने में जुटे हैं.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान एक बार फिर देश के नाम संदेश के बहाने लोगों से रूबरू हुए. उन्होंने एक बार फिर अपने खिलाफ विदेशी साजिश का आरोप लगाया. साथ ही देश के भीतर मौजूद कई पुराने राजनेताओं को गद्दार जैसे जुमलों से नवाज़ा. यह तमाम बातें इमरान खान ने उस चिट्ठी के हवाले से कही, जो कथित तौर पर 7 मार्च को अमेरिका में मौजूद पाकिस्तान के तत्कालीन राजदूत असद मजीद खान ने सरकार को भेजी थी.
सियासत की पिच पर सत्ता का मैच हारते इमरान खान अपना विकेट बचाने के लिए जिस चिट्ठी को कवच की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं, उसे पाकिस्तान की आजादी और खुद मुख्तारी का मुद्दा बना रहे हैं, उस कवच में सवालों के कई छेद हैं.
पहला सवाल- ड्रामा फुल, एक्शन क्यों गुल?
इमरान खान 7 मार्च को लिखी राजनयिक चिट्ठी को राष्ट्रीय सुरक्षा और पाकिस्तान के अंदरूनी मामलों में दखल का बड़ा मुद्दा बना रहे हैं. लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि 7 से 27 मार्च तक उन्होंने इस तथाकथित अतिसंवेदनशील चिट्ठी पर क्या किया?
इमरान से दूसरा सवाल- अमेरिका से विरोध क्यों नहीं जताया?
इमरान अगर अमेरिका में अपने राजदूत की चिट्ठी में लिखी गई बातों को इतना नागवार मान रहे रहे थे तो फिर 21 मार्च को इनके विदेश मंत्री अमेरिकी विदेश विभाग की विशेष दूत उजरा ज़ोया का गर्मजोशी से स्वागत क्यों कर रहे रहे? क्या उजरा के साथ 22 मार्च की मुलाकात में पाकिस्तान के एनएसए मोइद यूसुफ ने इस मामले को उठाया? आखिर क्यों अमेरिका को इस बारे में कोई आधिकारिक जवाब देने में तीन हफ्ते से अधिक का वक्त लगाया गया?
साजिश वाली चिट्ठी पर इमरान से तीसरा सवाल- क्यों नहीं किया राजद्रोह का केस?
इमरान खान अपने खिलाफ विदेशी मदद से हो रही साजिश में विपक्षी नेताओं के शामिल होने का आरोप लगा रहे हैं. लेकिन अगर यह वाकई सच है तो उनके राज में देशद्रोह के ऐसे गम्भीर मामले की कोई शिकायत या कार्रवाई अब तक क्यों दर्ज क्यों नहीं की गई?
इमरान से चौथा सवाल- NSC की बैठक क्यों टालते रहे इमरान?
इमरान खान ने इंटरनेशनल साजिश वाली चिट्ठी पर राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक बुलाने में इतना देर क्यों की? ये बैठक फौरन बुलाए जाने की बजाए विपक्ष की आलोचना और सवालों के बाद 31 मार्च को क्यों बुलाई गई.
इमरान से पांचवां और आखिरी सवाल- चिट्ठी को बनाया विपक्ष के खिलाफ ढाल?
चिट्ठी सामने आने के बाद बजाए इसपर सख्त ऐतराज दर्ज कराने या कोई जांच शुरू करने के बजाए इस्लाबाद में 27 मार्च को आयोजित रैली के लिए क्यों बचाकर रखा? अगर पाकिस्तान की संप्रभुता पर चोट करने की कोई कोशिश हुई तो सत्तारूढ़ पार्टी के नेता और सरकार के मंत्री इसे इमरान का सरप्राइज़ क्यों करार देते रहे?
जाहिर है इमरान की इस चिट्ठी में झोल है. इसके जरिए इमरान सिर्फ मुद्दे को भटकाना चाहते हैं. आवाम की हमदर्दी बटोरना चाहते हैं, बदलाव की आंधी का रुख बदलना चाहते हैं लेकिन अब ऐसा शायद ही मुमकिन हो. क्योंकि बगावत के बवंडर में इनका किला जार-जार हो चुका जो किसी भी वक्त ढह सकता है.
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