पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार को लेकर सियासी उठापठक तेज हो गई है. इमरान खान अपनी सरकार बचाने के लिए जिद्द पर अड़े हैं. उन्होंने संसद में अविश्वास प्रस्ताव से अपनी सरकार को गिरने से बचाने के लिए बड़ा दांव खेला है. पीएम इमरान खान ने अपने सभी सांसदो को चिट्ठी लिखकर सख्त हिदायत दी है कि उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ का कोई भी सांसद सदन में अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग ना करे, यहां तक कि PTI के सासदों को मतदान वाले दिन सदन में आने से भी रोका गया है. इमरान खान के इस चाल से विपक्ष के सामने मुसीबत कुछ बढ़ गई है. इमरान आखिरी दम तक अपनी सरकार को बचाने में जुटे हैं तो वही विपक्ष इमरान सरकार को सत्ता से बेदखल करने के लिए पूरी कोशिश में है.


इमरान खान का बड़ा दांव


जियो न्यूज की खबर के मुताबिक, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ सांसदों को लिखे एक पत्र में प्रधानमंत्री खान ने कहा है कि नेशनल असेंबली में पीटीआई के सभी सदस्य मतदान से दूर रहें. उस दिन नेशनल असेंबली की बैठक में शामिल नहीं हों जब उक्त प्रस्ताव पर मतदान कराया जाएगा. इमरान खान ने अपने सांसदों को वोटिंग न करने की चेतावनी देकर विपक्ष की मुश्किलें बढ़ा दी है. ऐसे में अब विपक्ष को इमरान की पार्टी या उनके सहयोगी दलों के कुछ सांसद तोड़ कर सरकार गिराने के लिए अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 172 सांसद जुटाने होंगे. लेकिन इसमें एक पेंच है. पाकिस्तान के संविधान के आर्टिकल 63-A के मुताबिक अगर किसी भी पार्टी का सांसद अपनी पार्टी के व्हिप के खिलाफ़ जाता है तो उसकी सदस्यता खत्म हो सकती है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि इमरान से नाराज़ चल रहे सांसद अब इस हिदायत के बाद क्या करते हैं.
 
3 अप्रैल को बहुमत परीक्षण


उधर, पीपीपी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो का आरोप है कि इमरान खान इतने बुजदिल हैं कि वो उनका मुकाबला करने के लिए तैयार नहीं था, हमारी फतह हो चुकी है. इमरान खान के बचने का कोई रास्ता नहीं है. बता दें कि पाकिस्तान की संसद में कल से अविश्वास प्रस्ताव पर बहस शुरू होगी और तीन दिन दिन बाद यानी 3 अप्रैल को बहुमत परीक्षण होगा. विपक्ष इमरान की पार्टी के दो दर्जन से ज्यादा सांसदों को तोड़ने का दावा कर रहा है लेकिन इमरान भी झुकने को तैयार नहीं हैं और वो आखिरी दम तक अपनी सरकार को बचाने की कोशिशों में जुटे हैं. पाकिस्तान के इतिहास में आज तक किसी भी प्रधानमंत्री को अविश्वास प्रस्ताव के जरिए सत्ता से बेदखल नहीं किया गया है और खान इस चुनौती का सामना करने वाले तीसरे प्रधानमंत्री हैं.


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