Kashmir Issue: पाकिस्तान की आर्थिक हालत बिलकुल सही नहीं है. वो एक गहरे संकट से गुजर रहा है. इसके बावजूद वहां की सरकार हमेशा से अपने आंतरिक मामलों से दूर हटकर कश्मीर मुद्दे को ज्यादा तवज्जो देती रही है. इसको लेकर वहां के मशहूर पत्रकार कामरान यूसुफ ने एक्‍सप्रेस ट्रिब्‍यून में लिखे एक आर्टिकल में इस बात का खुलासा किया है कि पाकिस्तान के पूर्व आर्मी प्रमुख जनरल बाजवा अपने दूसरे कार्यकाल में भारत के साथ रिश्ते सुधारने के लिए जी जान लगा चुके थे.  


उन्होंने ये भी दावा किया है कि भारत के पीएम नरेंद्र मोदी 2021 में पाकिस्तान का दौरा करना चाहते थे और भारत-पाकिस्तान के रिश्ते को सुधारने की पहले करते. अभी पाकिस्तान के जिस तरह के हालात हैं, उसको देखते हुए वहां के लोग भारत से आपसी संबंधों को सुधारने पर जोर देने को कह रहे हैं. इस वक्त पाकिस्तान कर्ज में डूबा हुआ है.


पाकिस्तान सरकार को घेर रहे है


देश की आर्थिक खस्ता हालात को लेकर भी पाकिस्तानी विशेषज्ञ सरकार को घेर रहे हैं और फटकारते हुए कह रहे हैं कि कश्मीर मुद्दे को भूल कर भारत से रिश्ते जोड़ने पर ध्यान दें. पाकिस्तानी पत्रकार कामरान ने ये दावा किया कि जब मनमोहन सिंह भारत के पीएम थे तो अपने इस्लामाबाद के दौरे के वक्त सियाचिन और सरक्रीक को लेकर समझौते पर मुहर लगाना चाहते थे. उस वक्त चीफ जस्टिस को हटाने के वकीलों नें विरोध शुरू कर दिया. इसकी वजह से पाकिस्तानी डिक्टेटर को अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी. उसके बाद 2008 मुंबई हमले से दोनों देशों के रिश्तों में बड़ी दरार आ गई.


100 अरब डॉलर का कर्ज है 


इस वक्त भारत आर्थिक रूप से बहुत ही ज्यादा मजबूत स्थिति में है. पड़ोसी देश पाकिस्तान कंगाल होने की कगार पर खड़ा है. इसकी वजह से भी जनरल बाजवा को भारत के साथ अपने रिश्तों को ठीक करने के लिए मजबूर होना पड़ा. पाकिस्तान का मौजूदा विदेशी मुद्रा भंडार अपने आठ साल के सबसे निचले स्तर पर है. पाकिस्तान के मुद्रा भंडार में 6.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर की गिरावट आई है. उसने हाल ही में सऊदी अरब से कर्ज लिया है. पाकिस्तान पर फिलहाल 100 अरब डॉलर का कर्ज है 


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