पाकिस्तान में इन दिनों बड़ा सियासी तूफान उठा हुआ है. प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ वहां की संसद में 28 मार्च को अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग होनी है. सियासी जानकारों का कहना है कि इस वक्त क्रिकेटर से राजनेता बने पीएम इमरान की कुर्सी खतरे में है. हालांकि इमरान खान और उनकी पार्टी के नेता दावा कर रहे हैं कि सरकार कहीं नहीं जा रही. पड़ोसी मुल्क में चल रही सियासी उठापटक पर भारत में भी लोग नज़रें गड़ाएं बैठे हैं. ऐसे में एबीपी न्यूज़ ने वहां के हालात को बेहतर तौर से समझने और पाठकों और दर्शकों तक पहुंचाने के लिए पाकिस्तान की राजनीतिक विश्लेषक मेहर तरार से बातचीत की.
इमरान खान के अविश्वास प्रस्ताव जीतने के सवाल पर मेहर तरार ने कहा, "ये हमारे मुल्क की ट्रैजडी है कि जिनके साथ जो भी हुआ है उससे सीखने की बजाय, उससे आगे बढ़ने की बजाय....हमारे मुल्क की ट्रैजडी ये है कि कोई भी किसी चुनावी नतजों को कुबूल नहीं करता है. ये लड़ाई बस यही है."
इमरान सरकार पर नेशनल असेंबली को नहीं बुलाने के आरोप लग रहे हैं. जब उनसे पूछा गया ओआईसी का बहाना लेकर इमरान सरकार असेंबली नहीं बुला रही है, ऐसा क्यों? इस पर मेहर तरार बोलीं, "ये बहाना नहीं है. करीब 50 देशों से लोग, इनमें वो भी हैं जो इस्लामिक देश नहीं है, जिनमें अमेरिका और चीन भी शामिल हैं. इस लेवल के समिट में लोगों को एक दिन में न्योता नहीं भेजा जाता है. ये दोस्तों की मुलाकात नहीं है. इसकी तैयारी महीनों पहले से होती है."
इमरान सरकार के गिरने के सवाल पर मेहर तरार ने कहा, "गिर जाए (सरकार), लेकिन दिक्कत ये है कि किस तरह से गिरे....सरकार ने कहा है कि उनके पास पैसों के लेनदेन का भी सबूत है." इमरान खान ने आज कश्मीर का मुद्दा उठाया. इसको लेकर जब मेहर से सवाल हुआ तो उन्होंने कहा, "उनके (इमरान खान) कुछ कदम बेहद साफ रहे हैं. वो जंग के विरोधी रहे हैं, वो शांति के समर्थक रहे हैं...वो सिर्फ ये कहते हैं कि कश्मीर के मुद्दे को बातचीत के ज़रिए सुलझाना चाहिए."