Pakistan Military Rule: पाकिस्तान के पंजाब में सैन्य शासन लागू, इमरान की गिरफ्तारी पर सुलगा पूरा मुल्क !
Pakistan Political crisis: पाकिस्तान के सबे बड़े प्रांत पंजाब में मिलिट्री रूल (आर्टिकल 245) लागू किया गया है. इसके बाद वहां की स्थिति सेना संभालेगी. जानें वहां अब क्या-क्या हो रहा है..
Imran Khan Arrested: पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के चीफ इमरान खान (Imran Khan) की गिरफ्तारी पर पाकिस्तान में बवाल मचा हुआ है. हालात बिगड़ने पर पाकिस्तानी हुकूमत ने वहां पंजाब प्रांत में मिलिट्री रूल (आर्टिकल 245) लागू कर दिया है. इसके साथ ही यह पूरा इलाका सेना के हवाले हो गया है.
अब पाकिस्तानी सेना और अन्य सुरक्षा-दस्ते पंजाब प्रांत में व्याप्त तनाव और बिगड़ते हालातों को अपने तरीके से कंट्रोल करने की कोशिश करेंगे. आबादी के लिहाज से पंजाब पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है. इसमें 36 जिले हैं. पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद यहां से अधिक दूर नहीं है. बताया जा रहा है कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के समर्थक इस्लामाबाद समेत रावलपिंडी, पेशावर, लाहौर आदि सभी बड़े शहरों में व्यापक स्तर पर प्रदर्शन कर रहे हैं. वे इमरान की गिरफ्तारी से खफा हैं. उधर, पाकिस्तानी पुलिस इमरान समर्थकों की धर पकड़ में जुटी है.
कई बार मुल्क की बागडोर सेना के हाथों में रही
पाकिस्तान में यह पहली बार नहीं है, जब सेना ने मुल्क को अपने नियंत्रण में लिया हो. 1947 में पाकिस्तान के गठन के बाद वहां बहुत मार-काट मची थी. 1951 के बाद से पाकिस्तान अब तक कई दफा सैन्य नियंत्रण में रहा है. वहां 1958- 1971, 1977 - 1988, 1999 - 2008 के दौरान सैन्य शासन रहा. इस तरह पाकिस्तान के इतिहास के कई दशक मिलिट्री रूल (सैन्य शासन) में गिने जाते हैं. बीते कुछ महीनों में वहां के नेता और राजनीतिज्ञ फिर से मिलिट्री रूल की संभावना जता रहे थे. पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री अब्बासी ने कहा था कि मुल्क में हालात बिगड़ने पर पहले भी आर्मी रूल लागू हुआ था, और इस बार भी वैसा होने के आसार हैं.
अब खैबर पख्तूनख्वा में भी सेना की तैनाती
खबर है कि शहबाज हुकूमत ने खैबर पख्तूनख्वा (Khyber Pakhtunkhwa) प्रांत में भी पाकिस्तानी आर्मी बुलाई है. यह वही प्रांत है, जिसे अंग्रेजों के शासन के दौरान भारत के उत्तर पश्चिमी सीमांत प्रांत (NWFP) के रूप में जाना जाता था. पाकिस्तान के गठन के बाद पश्तूनिस्तान प्रस्तावित नामों में से एक था, लेकिन इसे राजनीतिक समर्थन नहीं मिला, क्योंकि यह नाम बहुत विवादास्पद हो गया था. आखिरकार, 2010 में इस प्रांत का नाम बदलकर खैबर पख्तूनख्वा कर दिया गया था.
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