(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Pakistan Political Crisis: इमरान खान आखिर कैसे अर्श से फर्श पर पहुंच गए? पांच प्वाइंट्स में समझिए
पाकिस्तान का सियासी नंबर गेम यही कहता है कि इमरान खान की गद्दी अब जा चुकी है. अब इंतजार इस बात का है कि इमरान वोटिंग का सामना करके इस्तीफा देंगे या फिर वोटिंग से पहले ही गद्दी छोड़ने का ऐलान करेंगे.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अब चंद दिन के मेहमान बताए जा रहे हैं. वह पाकिस्तान की सियासत के चक्रव्यूह में बहुत बुरी तरह से फंस गए हैं, जिससे बाहर निकलना उनके लिए नामुमकिन बताया जा रहा है. पाकिस्तान की संसद में आज से इमरान सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर बहस होगी. इसके बाद 3 अप्रैल को वोटिंग में स्थिति साफ होगी कि इमरान पीएम की पिच पर बने रहेंगे या आउट हो जाएंगे.
पाकिस्तान नेशनल असेंबली का गणित
पाकिस्तान नेशनल असेंबली में कुल 342 सदस्य हैं. इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी को सत्ता बनाए रखने के लिए कम से कम 172 सांसदों की जरूरत है. लेकिन उनकी पार्टी के 342 सदस्यीय नेशनल असेंबली में 155 सदस्य हैं. इमरान ने गठबंधन की सरकार बनाकर इस अंतर को पाट दिया था. सत्तारूढ़ सरकार ने पाकिस्तान मुस्लिम लीग (Q)- 5 सीट, बलूचिस्तान अवामी पार्टी- 5 सीट, मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट पाकिस्तान- 7 सीट, ग्रैंड डेमोक्रेटिक एलायंस- 3 सीट, अवामी मुस्लिम लीग- 1 सीट और इंडिपेंडेट सदस्यों के साथ पीटीआई के नेतृत्व वाला गठबंधन बनाया था. इन पार्टियों और स्वतंत्र सदस्यों के समर्थन से खान की सरकार को 179 सदस्यों का बहुमत प्राप्त था.
पाकिस्तान स्थित दैनिक डॉन की एक रिपोर्ट के मुताबिक संयुक्त विपक्ष ने अब तक 169 सदस्यों का समर्थन हासिल कर लिया है. इससे उन्हें नेशनल असेंबली में बहुमत हासिल करने और इमरान खान को प्रधानमंत्री के पद से हटाने के लिए जरूरी 172 वोटों में से तीन ही कम रह गए हैं.
कैसे अर्श से फर्श पर पहुंचे इमरान खान
- इमरान खान ने साल 2018 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाली थी. चर्चा है कि इमरान खान को सत्ता में लाने में सेना ने अहम भूमिका निभाई थी. अब जबकि इमरान खान कुछ कमाल नहीं कर पा रहे हैं तो उन्हें हटाने की पूरी तैयारी हो गई है. उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आ चुका है.
- सत्ता में आने के बाद इमरान ने साल 2019 में पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा का कार्यकाल बढ़ा दिया. लेकिन अक्टूबर 2021 में आईएसआई चीफ के ट्रांसफर को लेकर इमरान खान और जनरल बाजवा के बीच तनातनी हो गई.
- जनवरी 2022 में इमरान खान ने पाक सेना पर विपक्ष से डीलबाजी का आरोप लगाया. मार्च 2022 को पाक आर्मी ने दावा किया कि वह न्यूट्रल हैं. सेना से मदद न मिलने की वजह से इमरान नाराज हो गए.
- 20 मार्च 2022 को इमरान खान ने भारतीय सेना की तारीफ कर दी. खान ने कहा कि, "मैं हिंदुस्तान की तारीफ करता हूं. हिंदुस्तान ने हमेशा आजाद विदेश नीति रखी. हिंदुस्तान अमेरिका का सहयोगी है और खुद को न्यूट्रल कहता है. रूस से तेल मंगवा रहा है, जबकि प्रतिबंध लगे हुए हैं. क्योंकि उसकी विदेशी नीति लोगों की बेहतरी के लिए है."
- 30 मार्च को पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा ने इमरान खान से 3 घंटे तक मुलाकात की. कयास लगाए जा रहे थे कि सेना ने भी इमरान की कुर्सी बचाने में मदद करने से इनकार कर दिया है. लेकिन इमरान सरकार के सूचना मंत्री फवाद चौधरी मजबूती से ये दावा भी कर रहे हैं कि सेना प्रमुख ने इमरान खान को इस्तीफा देने के लिए नहीं कहा है.
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