Pakistan Political Crisis: अविश्वास प्रस्ताव खारिज किए जाने के मामले में पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को ‘हाई-प्रोफाइल’ मामले में ‘उचित आदेश’ देने का वादा करते हुए सुनवाई स्थगित कर दी थी. कोर्ट ने देश में राजनीतिक स्थिति का स्वत: संज्ञान लिया था.
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पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट में नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष द्वारा अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने और संसद को भंग करने के मामले में आज भी सुनवाई हुई है. सुनवाई के दौरान एक जज ने बड़ी टिप्पणी की है. उन्होंने कहा है कि अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग नहीं कराना असंवैधानिक है. फिलहाल करीब एक घंटे से पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है. अभी विपक्ष के नेता अपनी दलील रख रहे हैं. पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ने कहा है कि इमरान की सरकार ने संसद में नियम तोड़ा, अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग नहीं कराई. कोर्ट ने सोमवार को इस ‘हाई-प्रोफाइल’ मामले में ‘उचित आदेश’ देने का वादा करते हुए सुनवाई स्थगित कर दी थी.
पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने 3 अप्रैल को प्रधानमंत्री इमरान खान की सिफारिश पर नेशनल असेंबली को भंग कर दिया था. इससे पहले नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष कासिम सूरी ने प्रधानमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया था. इसके बाद खान ने संसद के निचले सदन 342 सदस्यीय नेशनल असेंबली में प्रभावी तौर पर बहुमत खो दिया था.
प्रधान न्यायाधीश उमर अता बंदियाल ने कहा कि नेशनल असेंबली को भंग करने के संबंध में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति द्वारा उठाए गए कदमों पर गौर करते हुए अदालत फैसला सुनाएगी. उच्चतम न्यायालय की एक वृहद पीठ ने इस मामले पर सोमावार को सुनावाई शुरू की थी. पीठ में प्रधान न्यायाधीश उमर अता बंदियाल, न्यायमूर्ति इजाजुल अहसन, न्यायमूर्ति मजहर आलम खान मियांखेल, न्यायमूर्ति मुनीब अख्तर और न्यायमूर्ति जमाल खान मंडोखाइल शामिल हैं.
डिप्टी स्पीकर ने खारिज किया था अविश्वास प्रस्ताव
नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष कासिम सूरी ने तथाकथित विदेशी साजिश से जुड़े होने का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया था. मामले में राष्ट्रपति आरिफ अल्वी, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और सभी राजनीतिक दलों को प्रतिवादी बनाया गया है. उपाध्यक्ष के फैसले को लेकर सरकार और विपक्ष के वकीलों ने अपनी दलीलें पेश कीं.
‘जियो न्यूज’ की खबर के अनुसार, न्यायमूर्ति बंदियाल ने सुनवाई के दौरान कहा कि अगर नेशनल असेंबली के अध्यक्ष संविधान के अनुच्छेद-5 का हवाला देते हैं, तब भी अविश्वास प्रस्ताव को खारिज नहीं किया जा सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर खान के पक्ष में फैसला आता है तो 90 दिन में चुनाव कराने होंगे. वहीं, अगर फैसला उपाध्यक्ष के खिलाफ आता है तो संसद फिर से बुलाई जाएगी और खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जाएगा. न्यायमूर्ति बंदियाल ने इससे पहले कहा था कि अदालत इस मुद्दे पर सोमवार को ‘उचित आदेश’ देगी.
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