पाकिस्तान में प्रधानमंत्री इमरान खान के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के एक प्रमुख सहयोगी एमक्यूएम ने विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को समर्थन देने का फैसला किया. इसके बाद से ही पीएम इमरान खान से इस्तीफे की मांग हो रही है.
विपक्ष की ओर से नेशनल असेंबली में आज लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग से पहले पीएम इमरान से इस्तीफे की मांगें तेजी से उठ रही हैं. प्रस्ताव पर वोटिंग 03 अप्रैल को होगी. पीएम खान की ओर से बुधवार को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन रद्द करने के बाद उनके इस्तीफे की अटकलें तेज हो गई हैं. हालांकि, सूचना मंत्री फवाद चौधरी के मुताबिक, क्रिकेटर से राजनेता बने पीएम खान आखिरी गेंद तक लड़ेंगे.
चार लोकतांत्रिक सरकारों को सैन्य तख्तापलट से हटा दिया गया
मालूम हो कि पाकिस्तन का कोई भी प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है और अगर पीएम इमरान खान इस्तीफा देते हैं, तो वे भी इस लंबी सूची में शामिल नजर आएंगे. पाकिस्तान की आजादी के बाद से चार बार सेना की हुकूमत आई. चार लोकतांत्रिक सरकारों को सैन्य तख्तापलट से हटा दिया गया.
13 साल के मार्शल लॉ के बाद जुल्फिकार अली भुट्टो राष्ट्रपति बने
1950 के अशांत दशक में राष्ट्रपति इस्कंदर मिर्जा की ओर से संविधान को निरस्त कर दिया गया था और 1958 में मार्शल लॉ लगाया गया था. 13 साल के मार्शल लॉ के बाद जुल्फिकार अली भुट्टो पाकिस्तान के राष्ट्रपति बने. 1973 में विशेष व्यवस्था के तहत संविधान पारित किया गया. इसके बाद उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया और वे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने.
भुट्टो ने 1977 में चुनाव जीता, सेना प्रमुख ने किया तख्तापलट
जुल्फीकार अली भुट्टो ने 1977 में चुनाव जीता. उन्होंने जनरल जियाउल हक को सेना प्रमुख बनाया. उसी सेना प्रमुख ने 1977 में ही भुट्टो का तख्तापलट कर दिया. 1988 में एक विमान हादसे में जनरल जियाउल हक की मृत्यु हो गई. इसके बाद जुल्फिकार अली भुट्टो की बेटी बेनजीर भुट्टो पाकिस्तान की प्रधानमंत्री बनीं. हालांकि, इनका भी शासन केवल तीन साल रहा, क्योंकि 1990 में राष्ट्रपति से उनके मतभेद के बाद नेशनल असेंबली को भंग कर दिया गया, जिसके बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था.
नवाज शरीफ को सेना के दबाव में पीएम पद से देना पड़ा इस्तीफा
इसके बाद नवाज शरीफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने, जिन्होंने सरकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान शुरू किया था और देश के बुनियादी ढांचे में सुधार का वादा किया था, लेकिन उन्हें भी 1993 में पाकिस्तान की सेना के दबाव में प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा.
बेनजीर भुट्टो को दोबारा देश का नेतृत्व करने का मौका मिला
बेनजीर भुट्टो 1993 का चुनाव नहीं जीत पाईं, हालांकि उनकी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, जिसके बाद उन्हें एक बार फिर देश का नेतृत्व करने का मौका मिला. हालांकि, उनका दूसरा कार्यकाल भ्रष्टाचार, सांप्रदायिक हिंसा और आतंकी हमलों के आरोपों से भरा था. 05 नवंबर 1996 को राष्ट्रपति फारूक लेघारी ने नेशनल असेंबली को भंग कर दिया और भुट्टो एक बार फिर सत्ता से बाहर हो गईं.
जनरल परवेज मुशर्रफ के शासन में तीन प्रधानमंत्री रहें
फरवरी 1997 में अगला चुनाव नवाज शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग ने जाता, लेकिन अक्टूबर 1999 में जनरल परवेज मुशर्रफ ने उन्हें सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाते हुए देश में इमरजेंसी लगा दी. जनरल परवेज मुशर्रफ के शासन में तीन प्रधानमंत्री मीर जफरुल्लाह खान जमाली, चौधरी शुजात और शौकत अजीज रहें.
अदालत की अवमानना मामले में यूसुफ रजा गिलानी दोषी पाए गए
साल 2008 के आम चुनाव में पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) ने नेशनल असेंबली में बहुमत हासिल किया और यूसुफ रजा गिलानी को प्रधानमंत्री बनाया गया. हालांकि, साल 2012 में सुप्रीम कोर्ट में अदालत की अवमानना के एक मामले में यूसुफ रजा गिलानी को दोषी ठहराया गया. इसके बाद प्रधानमंत्री के पद पर उनकी जगह बाकी के कार्यकाल राजा परवेज अशरफ ने पूरा किया.
नवाज शरीफ दोबारा पीएम बने, पनामा पेपर्स मामले में पाए गए दोषी
इसके बाद 2013 में नवाज शरीफ एक बार फिर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने, लेकिन पनामा पेपर्स मामले में दोषी पाए जाने पर 2017 में पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट ने पद से बर्खास्त कर दिया था और बाकी के बचे कार्याकल शाहिद खकान अब्बासी ने पूरा किया था.
2018 में इमरान खान बने पीएम, आर्थिक कुप्रबंधन का लगाया गया है आरोप
साल 2018 में इमरान खान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने, जिसे पाकिस्तानी सेना समर्थित माना जाता है. इमरान खान का कार्यकाल भी भ्रष्टाचार के आरोपों से भरा रहा है और अब विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव लाकर उन्हें हटाने की मांग की है. इमरान खान पर प्रमुख रूप से आर्थिक कुप्रबंधन का आरोप लगा है.
इमरान खान के सत्ता से बाहर होने की मांग तब तेज हो गई जब बीते दिन बुधवार को सरकार के एक प्रमुख सहयोगी ने विपक्ष के साथ समझौता कर लिया और पीएम खान के सत्तारूढ़ गठबंधन का साथ छोड़ दिया.
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