क्या पाकिस्तान में भारत की तरह होता है राष्ट्रपति चुनाव? कौन करता है वोट और क्या है प्रक्रिया, जानें पूरी डिटेल
पाकिस्तान में राष्ट्रपति के लिए नेशनल असेंबली और सीनेट के सदस्य वोट करते हैं. इसके अलावा, चार प्रांतीय विधानसभाओं के सदस्य की भी राष्ट्रपति चुनाव में भूमिका होती है. वह भी वोट करते हैं.
आम चुनाव के बाद 9 मार्च को पाकिस्तान में राष्ट्रपति का चुनाव का होना है. इस बार पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के बीच अहम मुकाबला माना जा रहा है. पीपीपी ने आसिफ अली जरदारी को अपना उम्मीदवार बनाया है. आसिफ अली जरदारी राष्ट्रपति रह चुके हैं और उनकी पार्टी पीपीपी को सत्तारूढ़ पाकिस्तान मुस्लिम लीग (PML-N), मुत्ताहिदा कौमी-पाकिस्तान, पाकिस्तान लीग- कायद समेद कई दलों का समर्थन प्राप्त है. उधर, इमरान खान की पार्टी पीटीआई ने महमूद खान अचकजई को राष्ट्रपति पद के लिए कैंडिडेट के तौर पर उतारा है.
पाकिस्तान के मौजूदा राष्ट्रपति आरिफ अल्वी भी पीटीआई से हैं. 2 मार्च को नोमिनेशन की आखिरी तारीख थी और दोनों उम्मीदवारों ने अपना नोमिनेशन फाइल कर दिया, जिसे पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने स्वीकार कर लिया है. आम चुनाव के बाद अब पाकिस्तान में राष्ट्रपति चुनाव की चर्चा है. आइए जानते हैं वहां कैसे चुना जाता है राष्टपति और चुनाव की पूरी प्रक्रिया क्या है-
पाकिस्तान में राष्ट्रपति के लिए कौन कर सकता है वोटिंग?
भारत की तरह पाकिस्तान में भी राष्ट्रपति के लिए वोट करने का अधिकार जनता के पास नहीं होता है, बल्कि जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि राष्ट्रपति के लिए मतदान करते हैं. पाकिस्तान के संविधान के आर्टिकल 41(3) में लिखा है कि पाकिस्तान का निचला सदन- नेशनल असेंबली और उच्च सदन- सीनेट के सदस्य वोटिंग करते हैं. नेशनल असेंबली और सीनेट भारत की लोकसभा और राज्यसभा की तरह होते हैं. इसके अलावा, 4 प्रांतीय विधानसभाओं के सदस्य भी राष्ट्रपति के लिए वोट डालते हैं. इस्लामाबाद में संसद के विशेष सत्र में दोनों सदनों के सदस्य वोट डालते हैं, जबकि प्रांतीय विधानसभाएं अपने संबंधित विधानमंडलों में बुलाए गए अलग-अलग सत्रों में मतदान करती हैं.
पाकिस्तान के राष्ट्रपति के लिए वोट कैसे आवंटित किए जाते हैं?
राष्ट्रपति के लिए सीनेट और नेशनल असेंबली के सदस्य एक वोट के आधार पर मतदान करते हैं. मतलब एक सदस्य का एक वोट गिना जाता है, लेकिन प्रांतीय विधानसभाओं के लिए ऐसा नहीं है. वह अलग फॉर्मूले का पालन करती हैं. जैसे बलूचिस्तान सबसे छोटी विधानसभा है तो इसलिए विधानसभा को एक सदस्यीय, एक-वोट विकल्प मिलता है. वहीं, पंजाब विधानसभा के 5.70 सदस्यों के वोट को एक वोट माना जाता है. इसी तरह सिंध के 2.58 और खैबर पख्तूनवा के 1.90 सदस्यों का वोट एक वोट के बराबर होता है.
भारत में कैसे होता है राष्ट्रपति का चुनाव
भारत के संविधान के आर्टिकल 54 में लिखा है कि लोकसभा, राज्यसभा और सभी विधानसभाओं के सदस्य राष्ट्रपति के लिए वोट करते हैं. हालांकि, वोट की वेटेज अलग-अलग होती है. जैसे राज्यसभा और लोकसभा के सांसद के मतपत्र की वैल्यू 708 होती है. वहीं, विधानसभा अलग फॉर्मूले का पालन करती हैं. किसी राज्य की कुल जनसंख्या और विधानसभाओं पर विधायक के वोट की वैल्यू निर्भर करती है. राज्य की कुल जनसंख्या को चुने गए विधायकों की संख्या से विभाजित करके 1000 से भाग दिया जाता है. फिर जो अंक मिलता है वह विधायक के वोट की वैल्यू होती है.
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