आर्टिकल 370 खत्म होने के बाद कल इमरान खान का तीसरा PoK दौरा, कोई बड़ा एलान संभव
बता दें कि भारत ने जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को खत्म कर दिया है. भारत के इस फैसले के बाद से ही पाकिस्तान बौखलाया हुआ है. पाकिस्तान मध्यस्थता की बात करता है लेकिन भारत ने साफ किया है कि कश्मीर दोनों देशों के बीच का द्विपक्षीय मामला है.
इस्लामाबाद: कल यानी शुक्रवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में जलसा होने वाला है. वह कल कोई बड़ा एलान कर सकते हैं. जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद से ये इमरान खान का तीसरा पीओके दौरा होगा. पाकिस्तान ने गुरुवार को कहा है कि प्रधानमंत्री इमरान खान शुक्रवार को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की राजधानी मुजफ्फराबाद में सार्वजनिक संबोधन के दौरान कश्मीर को लेकर ‘नीतिगत बयान’ देंगे.
बता दें कि भारत ने पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को खत्म कर दिया था. तभी से पाकिस्तान इस फैसले को लेकर बौखलाया हुआ है. भारत, कश्मीर को भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मामला मानता है और इसमें तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं है. भारत ने पाकिस्तान को यह स्पष्ट कर दिया है कि सीमा पार से हमले और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते हैं. पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने कहा, ‘‘ कश्मीर संघर्ष एक प्रक्रिया है, घटनाक्रम नहीं है. हमने कुछ कदम उठाए हैं और इसके बाद कुछ और भी कदम उठाए जाएंगे.’’
आज साप्ताहिक संवाददाता सम्मेलन के दौरान विदेश कार्यालय प्रवक्ता मोहम्मद फैसल ने कहा कि पाकिस्तान किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता के लिए तैयार है और इस मामले की वैधता अंतरराष्ट्रीय कानून पर आधारित है. उन्होंने कहा, ‘‘ मध्यस्थता की पेशकश (कश्मीर पर) मौजूद है लेकिन भारत तैयार नहीं है. हम इसके लिए तैयार हैं. हमारा ठोस विचार यह है कि सभी समस्याओं को बातचीत के जरिए सुलझाया जा सकता है.’’ फैसल ने कहा कि प्रधानमंत्री खान मुजफ्फराबाद में अपने संबोधन में कश्मीर पर नीतिगत बयान देंगे.
एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि कश्मीर मामले की वैधता अंतरराष्ट्रीय कानून के आधार पर है. उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) के प्रमुख का बयान कश्मीर को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की बढ़ रही चिंता को दिखाता है.
यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब भारत ने यूएनएचआरसी में कहा कि जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने का फैसला जनसमर्थन से लिया गया. भारत लंबे समय से सीमापार के आतंकवाद का पीड़ित रहा है, पाकिस्तान वैश्विक आतंकवाद का केंद्र है. पूरी प्रक्रिया लोकतांत्रिक थी. इसका टीवी पर सीधा प्रसारण भी हुआ. भारत ने कहा कि वह अपने राज्य में किए गए पुनर्गठन पर वहां को लोगों के साथ भेदभाव खत्म होगा. भारत ये कह चुका है कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को खत्म करना संप्रभु फैसला है.
भारत की प्रतिनिधि ने विजय ठाकुर सिंह ने कहा था, ''भारत के आंतरिक मामले में कोई देश हस्तक्षेप नहीं कर सकता. दिक्कतों के बावजूद जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने जरूरी सामानों की आपूर्ति जारी रखी है. प्रतिबंधों में भी धीरे-धीरे छूट दी जा रही है.’’ उन्होंने कहा, ‘’हमारा संविधान बिना किसी भेदभाव के सभी नागरिकों के मूल अधिकारों की गारंटी देता है. हमारी स्वतंत्र न्यायपालिका, फ्री मीडिया, वाइब्रेंट सिविल सोसाइटी मानवाधिकारों के संरक्षण के लिए एक बेहतर माहौल तैयार करती है.''
इसी बीच विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि पाकिस्तान कश्मीरी लोगों के लिए हर मंच पर आवाज उठाता रहेगा. कुरैशी जिनेवा की तीन दिवसीय यात्रा से लौटने के बाद इस्लामाबाद हवाई अड्डे पर बोल रहे थे. उन्होंने जिनेवा में यूएनएचआरसी को कश्मीर में मानवाधिकार स्थितियों की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि कश्मीर के लोग आत्मनिर्णय के अपने अधिकार की लड़ाई में अकेले नहीं हैं. पाकिस्तान उन्हें नैतिक, राजनैतिक और राजनयिक सहायता पहुंचाता रहेगा.
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