Pakistan Prostitution: पाकिस्तान में वेश्यावृति अवैध है लेकिन देश के कई हिस्सों में ये व्यापार तेजी से जारी है. कानूनी बाध्यता के बावजूद वेश्याएं भूमिगत तौर से काम करती हैं और अपना घर चलाती हैं. महिलाओं के अलावा पुरुष भी इसमें शामिल हैं. गरीबी और बेरोजगारी देह व्यापार (Prostitution) की बड़ी वजह बताई जाती है. देश में पेशेवर सेक्स-व्यापार में बढ़ोत्तरी के साथ गैर-सरकारी संगठन भेदभाव और एड्स जैसे मुद्दों के बारे में चिंता करने लगे हैं.
इस बीच फिल्मकार संजय लीला भंसाली (Sanjay Leela Bhansali) की 'हीरामंडी' (Heera Mandi) की आजकल जोर शोर से चर्चा हो रही है. वो इसी के जरिए डिजिटल डेब्यू की तैयारी में हैं.
वेबसीरीज 'हीरामंडी' की चर्चा
वेबसीरीज 'हीरामंडी' का अभी केवल फर्स्ट वीडियो लुक ही जारी किया गया है और ओटीटी पर दर्शकों को ये फिल्म देखने के लिए अभी थोड़ा इंतजार करना होगा. हालांकि इस सीरीज के नाम और इसके पीछे के इतिहास को हर कोई जानने के लिए उत्सुक है. आईए जानने की कोशिश करते हैं सीरीज का नाम 'हीरामंडी' क्यों रखा गया है?
'हीरामंडी' की कहानी
फिल्मकार संजय लीला भंसाली की 'हीरामंडी' की कहानी पाकिस्तान से जुड़ी हुई है. हीरामंडी पाकिस्तान के लाहौर में स्थित एक रेडलाइट एरिया है. देश के विभाजन से पहले हीरामंडी की तवायफें काफी मशहूर थीं. कोठे का भी प्रचलन था, जहां सियासत के अलावा प्रेम और धोखे के किस्से सुने जाते थे. ऐसा कहा जाता है कि मुगलकाल में अफगानिस्तान और उज्जबेकिस्तान की औरतें भी हीरामंडी में बस गई थीं. उस दौर में इस पेशे को बुरी निगाह से देखा जाता था. मुगलकाल के दौर में तवायफों का पेशा गीत-संगीत, नृत्य और संस्कृति से जुड़ी थीं.
कैसे पड़ा हीरामंडी नाम?
हीरा मंडी के शाब्दिक अर्थ पर जाएं तो इसका मतलब भले ही हीरों का बाजार निकलता हो लेकिन लाहौर के इस जगह का इससे कोई लेना-देना नहीं था. हीरा मंडी को शाही मोहल्ला के नाम से भी लोग जानते हैं. ऐसा बताया जाता है कि लाहौर के इस ऐतिहासिक इलाके का नाम पंजाब प्रांत के सिख राजा रणजीत सिंह के मंत्री हीरा सिंह के नाम पर पड़ा. हीरा सिंह ने यहां अनाज मंडी का निर्माण करवाया था.
संस्कृति का हिस्सा बना बिलासिता का अड्डा
हीरामंडी 15वीं से 16वीं शताब्दी के बीच लाहौर के मुगल शासन के दौरान रईस तबके के लोगों के लिए तवायफ संस्कृति का हिस्सा था. धीरे-धीरे यहां बिलासिता का अड्डा बन गया. हालांकि अब ये इलाका पहले की तरह शाही नजर नहीं आता है. ये भी आम मार्केट की तरह ही दिखता है लेकिन शाम ढलते ही रेड लाइट एरिया में तब्दील हो जाती है. मुगल काल का दौर खत्म होने और अंग्रेजों का शासन आने के बाद ही इस इलाके का शाही रौनक समाप्त हो गई थी. अंग्रेजों के राज के दौरान यहां रहने वाली महिलाओं को वैश्या कहा जाने लगा.
पाकिस्तान में क्यों बढ़ी वेश्यावृति?
18वीं शताब्दी के मध्य में ब्रिटिश सरकार की ओर से दक्षिण एशिया में पहली बार वेश्यावृत्ति को औपचारिक रूप दिया गया था. पाकिस्तान में वेश्यावृति बढ़ने की सबसे बड़ी वजह गरीबी और बेरोजगारी है. ज्यादातर विश्लेषक गरीबी को वेश्यावृति की ओर बढ़ने के लिए एक बड़ा कारक मानते हैं. हाल में कुछ वर्षों में न सिर्फ महिलाएं बल्कि पुरुष भी इस धंधे में जा रहे हैं.
UNAIDS की 2017 की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में 2 लाख 29 हजार से अधिक वेश्याएं हैं. देश के कुछ हिस्सों में वेश्यावृत्ति को लेकर काफी सख्ती है और मौत की सजा तक का प्रावधान है. खासकर खैबर-पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान क्षेत्रों में इसे लेकर काफी सख्ती बरती जाती है.
ये भी पढ़ें:
क्या पाकिस्तान में आटे की एक-एक बोरी के लिए झड़प रहे लोग, आर्थिक तंगी से जूझ रहा देश