Pakistan's Commitment to Eliminate All Terrorist Groups: अमेरिकी विदेश विभाग ने वैश्विक आतंकवाद पर एक वार्षिक रिपोर्ट में कांग्रेस को बताया कि पाकिस्तान (Pakistan) ने अपने क्षेत्र से बाहर सक्रिय सभी आतंकवादी समूहों को खत्म करने की अपनी प्रतिबद्धता में ‘‘सीमित प्रगति’’ की है. गुरुवार को प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, विदेश विभाग ने स्वीकार किया कि पाकिस्तान ने 2020 में आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने और भारत केंद्रित आतंकवादी समूहों (Terrorist Groups) पर लगाम लगाने के लिए कदम उठाए हैं.
इसमें कहा गया है, ‘‘पाकिस्तानी सरकार (Pakistani Government) ने भी अफगान शांति प्रक्रिया का समर्थन करना जारी रखा. पाकिस्तान ने आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए अपनी 2015 की राष्ट्रीय कार्य योजना के सबसे कठिन पहलुओं पर सीमित प्रगति की, विशेष रूप से बिना किसी देरी या भेदभाव के सभी आतंकवादी संगठनों को खत्म करने की अपनी प्रतिबद्धता में.’’
लाहौर की एक आतंकवाद विरोधी अदालत ने फरवरी में और फिर नवंबर में, लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के संस्थापक हाफिज सईद को आतंकी वित्तपोषण के कई मामलों में दोषी ठहराया था और उसे पांच साल और छह महीने जेल की सजा सुनाई. विदेश विभाग ने कहा कि उसी समय, पाकिस्तान जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के संस्थापक मसूद अजहर और लश्कर के साजिद मीर जैसे उसकी जमीन पर रहने वाले अन्य आतंकवादियों पर मुकदमा चलाने के लिए कदम उठाने में विफल रहा, जो 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के षडयंत्रकर्ताओं में से एक आरोपी हैं.
मुंबई हमले के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं
सिंध उच्च न्यायालय ने 2002 में अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल के अपहरण और हत्या के लिए उमर शेख और तीन सह-साजिशकर्ताओं को 2002 में दी गई सजा को दो अप्रैल को पलट दिया था. रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय ने सिंध उच्च न्यायालय के अप्रैल के फैसले को बरकरार रखा था.
ग्रे सूची में बना रहा पाकिस्तान
विदेश विभाग ने कहा, ‘‘पाकिस्तान ने जैश संस्थापक और संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादी मसूद अजहर और 2008 के मुंबई हमले के ‘‘प्रोजेक्ट मैनेजर’’ साजिद मीर जैसे अन्य ज्ञात आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की. रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘पाकिस्तान ने अफगानिस्तान शांति प्रक्रिया में सकारात्मक योगदान दिया है, जैसे तालिबान को हिंसा में कमी लाने के लिए प्रोत्साहित करना. पाकिस्तान ने 2020 में अपनी वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) कार्य योजना को पूरा करने की दिशा में अतिरिक्त प्रगति की, लेकिन सभी कार्य योजना शर्तों को पूरा नहीं किया, और एफएटीएफ की ‘ग्रे सूची’ में बना रहा.’’
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