UN में गुहार लगाते नजर आए शहबाज शरीफ, बोले- भारत की मोदी सरकार पीओके पर करना चाहती है कब्जा
Shahbaz Sharif on India: संयुक्त राष्ट्र महासभा की वार्षिक बैठक में शहबाज शरीफ की छटपटाहट साफ देखने को मिली. इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत पीओके पर कब्जा करना चाह रहा है.
Shahbaz Sharif on India: संयुक्त राष्ट्र महासभा में दोस्त तुर्की के किनारा करने के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ अकेले पड़ गए. संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में शुक्रवार (27 सितंबर) को शहबाज शरीफ की छटपटाहट साफ दिखाई दी. इस दौरान शहबाज शरीफ ने कश्मीर का एक दर्जन से अधिक बार जिक्र किया. साथ ही कहा कि भारत की मोदी सरकार एलओसी पार करके पीओके पर कब्जा करना चाह रही है. इस दौरान शहबाज ने भारत पर झूठे आरोपों की झड़ी लगा दी. उन्होंने बगैर किसी सबूत के कहा कि पाकिस्तान के खिलाफ भारत परमाणु हमले की तैयारी कर रहा है.
संयुक्त राष्ट्र में शहबाज ने भारत को गीदड़भभकी देते हुए कहा कि भारत यदि पाकिस्तान के खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई करता है तो पाकिस्तानी सेना निर्णायक जवाब देगी. शहबाज ने यह भी दावा किया कि भारत परमाणु हमले के तहत सीमित युद्ध की तैयारी कर रहा है. शरीफ ने इस दौरान जोर देकर कहा कि 'भारत ने बिना सोचे समझे पाकिस्तान के पारस्परिक, रणनीतिक और संयमित शासन के प्रस्तावों को ठुकरा दिया है.' शहबाज ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने हमेशा पाकिस्तान के कब्जे वाले इलाकों पर कब्जा करने की धमकी दी है.
तुर्की हमेशा से कश्मीर का उठाता रहा है मुद्दा
दरअसल, जम्मू-कश्मीर से साल 2019 में अनुच्छेद 370 और 35ए समाप्त होने के बाद पाकिस्तान कश्मीर को लेकर विश्वभर के मंचों पर आवाज उठा रहा है. अभी तक पाकिस्तान का दोस्त तुर्की संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान के हां में हां मिलाता रहा है, लेकिन इस बार तुर्की के राष्ट्रपति तैयब एर्दोगन ने अपने भाषण के दौरान कश्मीर का नाम ही नहीं लिया. ऐसे में संयुक्त राष्ट्र के भीतर पाकिस्तान अकेला पड़ गया है.
यूएन में एर्दोगन का न बोलना भारत की जीत
तुर्की के कश्मीर मुद्दे से किनारा करने के बाद पाकिस्तान के राजनयिक हल्के में बहस शुरू हो गई है. पाकिस्तान के भीतर इसे भारत की जीत करार दिया जा रहा है. पाकिस्तान की पूर्व राजनयिक मलीहा लोदी ने कहा कि तुर्की अपनी पुरानी नीति से पलट गया है. माना जा रहा है कि तुर्की को ब्रिक्स की सदस्यता चाहिए और यह बगैर भारत के सहयोग से उसे हासिल नहीं हो सकती है. ऐसे में तुर्की ने पाकिस्तान को धोखा दे दिया है. एर्दोगान के इस फैसले को भारत-तुर्की के बीच बढ़ते आर्थिक संबंधों से भी जोड़कर देखा जा रहा है.
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