इस्लामाबाद: पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में कुछ स्थानीय मौलवियों और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम पार्टी (फजल उर रहमान समूह) के समर्थकों की अगुवाई में भीड़ के जरिए एक हिंदू मंदिर में की गई तोड़फोड़ के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई होगी. पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने स्थानीय प्राधिकारियों को आज पेश होने का आदेश दिया था.


इस मामले में अब तक 100 से ज्यादा आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है. खैबर पख्तूनख्वा में करक जिले के टेरी गांव में कुछ लोगों ने पिछले बुधवार को मंदिर के विस्तार कार्य के विरोध में उसमें तोड़फोड़ की थी और आग लगा दी थी. इस घटना के सिलसिले में दर्ज की गई प्राथमिकी में 350 से अधिक लोग नामजद हैं.


इस मंदिर में एक हिंदू धार्मिक नेता की समाधि थी. मंदिर की दशकों पुरानी इमारत के जीर्णोद्धार के लिए हिंदू समुदाय ने स्थानीय अधिकारियों से अनुमति ली थी. कुछ स्थानीय मौलवियों और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम पार्टी (फजल उर रहमान समूह) के समर्थकों की अगुवाई में भीड़ ने पुराने ढांचे के साथ-साथ नए निर्माण कार्य को ध्वस्त कर दिया था.


भारत ने जताया विरोध 


भारत ने भी मंदिर में तोड़फोड़ की घटना को लेकर पाकिस्तान के समक्ष विरोध दर्ज कराया है और इस घटना के दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई किए जाने की मांग की है. सूत्रों के मुताबिक राजनयिक माध्यम से पाकिस्तान के समक्ष विरोध दर्ज कराया गया है.


महमूद खान ने दिया आश्वासन


खैबर-पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री महमूद खान ने आश्वासन दिया है कि उनकी सरकार क्षतिग्रस्त मंदिर और समाधि का जल्द से जल्द पुनर्निमाण कराएगी. खैबर पख्तूनख्वा सरकार ने मंदिर को हुए नुकसान के आकलन के लिए चार सदस्यीय समिति का गठन किया है. साथ ही इसके पुनर्निमाण के लिए हिंदू समुदाय के साथ विचार-विमर्श किया है. समिति से 10 दिन में कार्य पूरा करने को कहा गया है.


ये भी पढ़ें:


कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन से देश में अब तक 38 लोग हुए संक्रमित 


Corona Vaccine: कीमत-असर से लेकर साइड इफेक्ट्स तक, जानिए वैक्सीन से जुड़े इन 21 सवालों के जवाब