Political Crisis in Pakistan: इमरान खान की सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग से पहले पाकिस्तान में राजनीतिक हलचल तेज है. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस मुनीब अख्तर ने सोमवार को कहा कि एक राजनीतिक दल में शामिल होने के बाद एक सदस्य (MNA) के व्यक्तिगत वोट को सामूहिक अधिकार माना जाता है. उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 95 (ii) के अनुसार, जो प्रधानमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की प्रक्रिया से संबंधित है, एक सदस्य के व्यक्तिगत वोट का कोई स्टेटस नहीं होता.  


जस्टिस ने कहा कि अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्रियों बेनजीर भुट्टो और नवाज शरीफ से संबंधित मामलों में इसी तरह की टिप्पणी की थी. उन्होंने कहा कि एक राजनीतिक दल में शामिल होने के बाद एक सदस्य के वोट को सामूहिक अधिकार माना जाता था. जस्टिस मुनीब अख्तर ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) द्वारा दायर एक याचिका की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की.


याचिका में "अराजकता" को रोकने के लिए शीर्ष अदालत के हस्तक्षेप की मांग की गई और सभी राज्य पदाधिकारियों को संविधान और कानून के अनुसार कार्य करने का निर्देश दिया गया. पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश उमर अता बंदियाल और न्यायमूर्ति अख्तर की दो-न्यायाधीशों की पीठ ने याचिका पर सुनवाई की.


सुनवाई के दौरान विपक्षी नेता- पीएमएल-एन के अध्यक्ष शहबाज शरीफ, पीपीपी अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी और जेयूआई-एफ प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान भी मौजूद थे. शनिवार को अदालत ने सत्तारूढ़ पीटीआई, पीएमएल-एन, पीपीपी, जेयूआई-एफ, बलूचिस्तान नेशनल पार्टी (मेंगल) और अवामी नेशनल पार्टी को उनके संबंधित महासचिवों के माध्यम से नोटिस जारी किया था.


25 मार्च को होगी वोटिंग 


पाकिस्तान नेशनल असेंबली में इमरान खान की सरकार के खिलाफ 25 मार्च को अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग होगी. इमरान खान ने 2018 में प्रधानमंत्री का पद संभाला था. विपक्ष के करीब 100 सांसदों ने इमरान खान की सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया. 


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