Pakistan Husain Haqqani: 'पड़ोसी देशों के साथ जिहाद में उलझे रहने की वजह से...' पूर्व पाकिस्तानी राजनयिक हुसैन हक्कानी ने अपने मुल्क को खूब लताड़ा
Pakistan: पूर्व पाकिस्तानी राजनयिक हुसैन हक्कानी के मुताबिक, पाकिस्तान साल 1950 से 1980 तक अमेरिका का सहयोगी रहा था. इसका पाकिस्तान को लाभ होना चाहिए था. उस वक्त पूरी दुनिया में अमेरिका हावी था.
Pakistan Husain Haqqani On Jihad: अमेरिका में पूर्व पाकिस्तानी (Pakistan) राजदूत हुसैन हक्कानी (Husain Haqqani) ने अब बदलती दुनिया में व्यावहारिकता के महत्व पर जोर देते हुए पाकिस्तान से वैश्विक मामलों में अपनी सोच को बेहतर करने की बात कही है. हाल ही में अमेरिका में पाकिस्तानी राजदूत रह चुके हुसैन हक्कानी ने पाक स्थित द न्यूज के एक आर्टिकल में पाकिस्तान के पड़ोसी देशों जैसे भारत और अफगानिस्तान के खिलाफ जिहाद में उलझने को लेकर लताड़ा.
हुसैन हक्कानी ने कहा, 1991 में सोवियत संघ के पतन के साथ कोल्ड वॉर की समाप्ति के बाद से विश्व स्तर पर हुए गहन परिवर्तनों को समझने की पाकिस्तान की क्षमता में कमी आयी है. पाकिस्तान पिछले तीन दशकों से आंतरिक संघ संघर्षों में ही उलझा रहा. उन्होंने अपने आर्टिकल में लिखा कि दुनिया के दूसरे देश भी सत्ता संघर्ष में व्यस्त रहे, लेकिन उन्होंने उन देशों के साथ भी अपने रिश्ते सुधारें है, जिनकी बीच कभी दुश्मनी थी. वहीं पाकिस्तानी नेता ऐसा करने में विफल रहे.
पाकिस्तान और अमेरिका की दोस्ती
हुसैन हक्कानी के मुताबिक पाकिस्तान साल 1950 से 1980 तक अमेरिका का सहयोगी रहा था. इसका पाकिस्तान को लाभ होना चाहिए था. उस वक्त पूरी दुनिया में अमेरिका हावी था. हालांकि, इसके बावजूद पाकिस्तान ने इसका फायदा न उठाकर भारत के खिलाफ सिर्फ नेगेटिव बातें फैलाई. उन्होंने अमेरिका-विरोध जोड़ने का मूर्खतापूर्ण विकल्प चुना. वहीं उसी वक्त चीन जिसे अभी पाकिस्तान का सदाबहार दोस्त कहा जाता है, उसने सभी पुराने संघर्षों को नजरअंदाज करते हुए आर्थिक विस्तार की रणनीति अपनाई.
चीन ने पश्चिम से निवेश हासिल किया और उसका प्रमुख व्यापारिक भागीदार बन गया. हालांकि चीन ने 1949 के बाद से पहले चार दशकों तक अमेरिका की वर्चस्ववादी और साम्राज्यवादी कहकर निंदा की, लेकिन चीनियों ने साल 1990 के बाद अपनी बयानबाजी को रोके रखा. इसका फायदा ये हुआ कि साल 2022 में अमेरिका-चीन व्यापार बिजनेस 690 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया.
भारत और चीन का उदाहरण
चीन ने 1962 में भारत के साथ सीमा युद्ध लड़ा था और उसके बाद दोनों देशों ने कभी एक-दूसरे पर भरोसा नहीं किया. अपनी साझा सीमा पर असहमति के बावजूद आपसी अविश्वास ने उन्हें व्यापार करने से नहीं रोका. भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार पिछले साल 136 अरब डॉलर तक पहुंच गया. अमेरिका, भारत और चीन ने सामान्य नीति सूत्र के रास्ते पर चलते हुए आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने का काम किया. इस तरह से उन्होंने राजनीतिक और सुरक्षा मुद्दों को आर्थिक मुद्दों से अलग रखा.
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