Ahmadiyya Muslim in Pakistan: 1947 से पहले भारत और पाकिस्तान एक ही देश हुआ करता था. दोनों देश आजादी की जंग में एक साथ लड़े, लेकिन आजादी मिलते ही उनकी राहें जुदा हो गई. इसे अंग्रेजों की चाल कहें या आपसी फूट, भारत को दो हिस्सों में बटना पड़ा. पहला हिस्सा तो भारत ही रहा, दूसरे हिस्से को पाकिस्तान नाम दिया गया. पाकिस्तान को इस सोच के साथ बनाया गया था कि यहां मुस्लिम समुदाय के लोग निवास करेंगे. हालांकि, पाकिस्तान के निर्माण के बावजूद यहां मुसलमानों की समस्या जस की तस बनी रही. यहां अब भी कई समुदाय के लोग स्थानीय नागरिकता के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं.
पाकिस्तान में अहमदिया मुसलमानों की स्थिति दयनीय
पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर अहमदिया मुसलमान निवास करते हैं, लेकिन वहां के सुन्नी और शिया समुदाय के लोग उन्हें मुसलमान मानते ही नहीं हैं. यही नहीं उनके साथ वह बुरा बर्ताव भी करते हैं. पाकिस्तान में आए दिन अहमदिया मुसलमानों के ऊपर हमले की खबर सामने आती रहती है. इस समुदाय के लोगों की माने तो वहां के सुन्नी और शिया मुसलमान लगातार उनके प्रार्थना स्थलों और कब्रिस्तानों को अपना निशाना बनाते रहते हैं. इन्हें ईशनिंदा जैसे मामलों में भी लपेटा जाता है. जिससे यह बुरी तरह से तंग आ गए हैं. हाल यह है कि मौजूदा समय में यह पाकिस्तान छोड़ दूसरे देशों में शरण लेने के लिए मजबूर हो रहे हैं.
पाकिस्तान में रहते हैं 5 लाख अहमदिया मुसलमान
पाकिस्तान में करीब 5 लाख अहमदिया मुसलमान निवास करते हैं. इनका कहना है कि यह इस्लाम में विश्वास करते हैं और पूरी तरह से मुस्लिम हैं. इसके बावजूद पाकिस्तान की सविंधान में इन्हें मुसलमान माना ही नहीं गया है. वहां पर इस समुदाय के लोगों को अल्पसंख्यक गैर मुस्लिम धार्मिक समुदाय का दर्जा दिया गया है. हाल यह है कि इन्हें मस्जिद में भी जाने की मनाही है.
कैसे हुई अहमदिया मुसलामानों की उत्पत्ति?
अहमदिया मुसलमान पहली बार प्रकाश में साल 1889 में आए. भारत के पंजाब प्रदेश के लुधियाना शहर में स्थित कादियान गांव में पहली बार अहमदी आंदोलन का आगाज हुआ.