नई दिल्लीः कल ही अमेरिका ने पाकिस्तान के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए 255 मिलियन डॉलर की सैन्य सहायता रोक दी है. ये कार्रवाई राष्ट्रपति ट्रंप के उस ट्वीट के बाद की गई जिसमें उन्होंने पाकिस्तान पर आतंकवाद को लेकर झूठ बोलने और अमेरिका को मूर्ख बनाने का आरोप लगाया था. इस कदम के बाद पाकिस्तानी पीएम शाहिद खाकन अब्बासी ने आपातकालीन बैठक बुलाई, वहीं पाक में अमेरीकी राजदूत डेविड हेल को भी तलब किया. पूरे पाकिस्तान में जगह-जगह ट्रंप के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला भी चल रहा है.


क्यों पाकिस्तान को दरकार है अमेरिकी आर्थिक मदद की


पाकिस्तान को अमेरिका से मिल रही आर्थिक मदद की इसलिए दरकार है क्योंकि पाक के ऊपर विदेशी कर्ज करीब 79.2 बिलियन डॉलर या 5 लाख करोड़ रुपये का है. वहीं दुनिया की 10 ऐसी इकोनॉमी को विदेशी कर्ज चुकाने में अक्षम रहेंगी और जल्दी ही डिफॉल्ट कर सकती हैं, उनमें पाकिस्तान का भी नाम शामिल है. पाकिस्तान की जीडीपी 5.28 फीसदी है और इसे ऊपर उठने के लिए भी अमेरिकी मदद की दरकार है.


इसकी जनसंख्या विश्व की छठी सबसे बड़ी जनसंख्या है. 2016 की प्लानिंग मिनिस्ट्री रिपोर्ट के मुताबिक 38.8 फीसदी पाक नागरिक गरीबी रेखा के नीचे गुजर-बसर करते हैं. पाकिस्तान में बेरोजगारी की दर 6 फीसदी है.


एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान का रक्षा बजट 8. अरब डॉलर है और वह 15 साल में इस राशि से 4 गुना ज्यादा राशि आतंकवाद का खात्मा करने के नाम पर ले चुका है पर अब तक पाकिस्तान को आतंक को खत्म करने के लिए जितनी कार्रवाई करनी चाहिए थी वो उसने नहीं की और इसी बात पर अमेरिका पाक से खफा है.


पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति पर क्या असर पड़ेगा?
सुरक्षा मामलों के जानकार क़मर आग़ा ने बताया, "अमेरिका की 255 मिलियन डॉलर की इस रोक से पाकिस्तान पर ज्यादा असर नहीं होगा. क्योंकि चीन लगातार उसको आर्थिक मदद दे रहा है. पाकिस्तान जिस तरह से जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे रहा है, उससे साफ है कि चीन और साऊदी अरब उसे लगातार हर तरह की मदद कर रहे हैं."


2002 से 2018 के बीच अमेरिका ने पाक को इतनी आर्थिक मदद दी


2002 से 2018 के बीच अमेरिका ने पाकिस्तान को 11.10 बिलियन डॉलर यानी 71,000 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद अर्थव्यस्था के लिए दी और 8.26 बिलियन डॉलर यानी 52,000 करोड़ रुपये की मदद रक्षा संबंधित मामलों के लिए दी.


वहीं 14.60 बिलियन यानी 92,900 करोड़ रुपये अमेरिका के रक्षा विभाग की तरफ से पाकिस्तान को लॉजिस्टिक और ऑपरेशनल सपोर्ट के लिए मिले.


यूएस कॉन्ग्रेशनल रिसर्च सर्विस की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक 2002-2017 के दौरान पाकिस्तान को जितनी आर्थिक मदद दी गई उसका ब्यौरा इस प्रकार है




  • 2002-11: 22.14 बिलियन डॉलर – Rs. 1.42 लाख करोड़ रुपये

  • 2012 - 2.60 बिलियन डॉलर – Rs. 16,673 करोड़ रुपये

  • 2013 - 2.63 बिलियन डॉलर – Rs. 16,700 करोड़ रुपये

  • 2014 - 2.17 बिलियन डॉलर – Rs. 14,108 करोड़ रुपये

  • 2015 - 1.60 बिलियन डॉलर – Rs. 9,700 करोड़ रुपये

  • 2016 - 1.09 बिलियन डॉलर – Rs. 7,053 करोड़ रुपये

  • कुल आर्थिक मदद (2002-2017) - 33.38 बिलियन डॉलर यानी 2.15 लाख करोड़ रुपये


पाकिस्तान की इकोनॉमी को बड़ा झटका लगेगा


अगर पाकिस्तान को अमेरिका की तरफ से मिल रही आर्थिक मदद को देखें तो कह सकते हैं कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा अमेरिकी मदद पर चल रहा था. ये साफ है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की तरफ से पैसे की मदद रोके जाने से पाकिस्तान की इकोनॉमी को बड़ा झटका लगेगा. जाहिर है पाक को इतने सालों से मिल रही अमेरिकी मदद रुक जाने से पाकिस्तान के लिए फाइनेंशियल मोर्चे पर अस्तित्व को संभाल पाना एक कठिन काम होगा.


नए साल के पहले दिन 1 जनवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जो पहला ट्वीट किया उसमें पाकिस्तान को आतंकवाद का सहयोग करने के लिए लताड़ा गया और कहा गया कि पाकिस्तान को बीते 15 वर्षों में 33 अरब डॉलर से ज्यादा की आर्थिक मदद यूएस दे चुका है. पर अब और नहीं. पाक ने झूठ बोलकर धोखा दिया और अमेरिकी नेताओं को बेवकूफ बनाया. इस ट्वीट के बाद जहां पाक में हड़कंप मच गया और पाकिस्तान ने अमेरिकी राजदूत डेविड हेल को तलब किया.


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