इस्लामाबाद: जासूसी के जुर्म में मौत की सजा काट रहे भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के मामले में पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय अदालत (आईसीजे- इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस) के सामने 17 जुलाई तक अपना जवाबी एफिडेविट दाखिल कर सकता है. मीडिया की रिपोर्ट में आज यह जानकारी दी गई. पाकिस्तान का यह एफिडेविट भारत की ओर से अंतरराष्ट्रीय अदालत में 17 अप्रैल को दाखिल किए गए नए वाद (abatement suit) के जवाब में होगा.


पाकिस्तान के प्रतिष्ठित अख़बार डॉन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल के कार्यालय को एक या दो दिन में भारत के एफिडेविट की कॉपी मिल जाएगी. अटॉर्नी जनरल का कार्यालय इस मामले को देख रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि खावर कुरैशी जिन्होंने शुरुआती तौर पर पाकिस्तान की पैरवी की थी वही इस मामले को आगे बढ़ा सकते हैं.


बताते चलें कि भारतीय नागरिक जाधव को आतंकवाद और जासूसी के जुर्म में पाकिस्तान की सैन्य अदालत से मौत की सजा सुनाए जाने के बाद भारत ने पिछले साल मई में हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय अदालत की शरण ली थी. जिसके बाद आईसीजे की 10 सदस्यीय बेंच ने 18 मई को मामले का निर्णय होने तक पाकिस्तान को सजा पर अमल ना करने को कहा था.


भारत ने अपने नागरिक कुलभूषण जाधव के मामले में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में एक नई याचिका दायर की थी. विदेश मंत्रालय ने बताया था कि पिछले साल 13 दिसंबर को आईसीजे में पाकिस्तान द्वारा दिए गए हलफनामे के जवाब में भारत ने दूसरी बार लिखित जवाबी हलफनामा दिया है.


आपको बता दें कि पाकिस्तान की सैन्य अदालत द्वारा 47 साल के जाधव को पिछले साल मई में मौत की सजा सुनाई गई थी. पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने जाधव पर जासूसी और आतंकवाद के आरोप लगाए हैं. मामले में विदेश मंत्रालय ने कहा था, "ICJ के 17 जनवरी 2018 के आदेश को ध्यान में रखते हुए भारत ने कुलभूषण मामले में लिखित जवाब पेश किया."


मंत्रालय ने कहा था कि जाधव के अधिकारों की रक्षा के लिए भारत हरसंभव प्रयास के करेगा. ICJ के आदेश के बाद भारत ने मामले में 13 सितम्बर 2017 को लिखित हलफनामा दिया और पाकिस्तान ने पिछले साल 13 दिसम्बर को ‘जवाबी हलफनामा’ दायर किया. अब पाकिस्तान 17 जुलाई को अपना हलफनामा दाखिल करेगा.