इस्लामाबाद: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि उनकी सरकार ट्रंप प्रशासन की एकतरफा मांगों को नहीं मानेगी. अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ की पाकिस्तान यात्रा से पहले मीडिया रिपोर्ट में यह दावा किया गया है. ‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की खबर के मुताबिक प्रधानमंत्री आवास में पत्रकारों के एक समूह से बात करते हुए खान ने पारस्परिक सम्मान के आधार पर अमेरिका के साथ द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने की उनकी प्रशासन की नीति को दोहराया. पोम्पिओ पांच सितंबर को इस्लामाबाद पहुंचेंगे.


पाक पहले की तुलना में असुरक्षित
ऐसी ही एक और बातचीत में क्रिकेट के बेहद सफल करियर के बाद राजनीति में हाथ आजमा रहे इमरान ख़ान ने कहा कि पाकिस्तान 10 सालों से ज़्यादा समय तक अमेरिका के आतंक के ख़िलाफ़ युद्ध का सहयोगी रहा है. ख़ान ने कहा कि इस युद्ध में पाकिस्तान के 50 हज़ार लोगों की जानें चली गईं. इसकी वजह से देश में चरमपंथ को बढ़ावा मिला और देश पहले की तुलना में बहुत असुरक्षित है.


युद्ध से कुछ हल नहीं हो सकता
ख़ान ने कहा कि इस युद्ध में पाकिस्तान को 80 बिलियन डॉलर (98,32,80,00,00,000 पाकिस्तानी रुपए) का नुकसान हुआ है जिसमें से अमेरिका ने महज़ 20 बिलियन डॉलर (24,58,20,00,00,000 पाकिस्तानी रुपए) की सहायता दी है. देश के गरीब में डूबने से चारों ओर अफरातफरी मची है और सरकार की पकड़ कमज़ोर हो रही है. ख़ान का कहना है कि पाकिस्तान के लोगों में आम सहमति है कि इन सबका हल युद्ध से नहीं हो सकता है.





राजनीतिक हल की तलाश
उन्होंने आगे कहा कि देश अब राजनीतिक हल तलाश रहा है. इसके तहत वो अमेरिका के साथ मित्रता तो निभाएंगे लेकिन इसकी शर्त शांति होगी. शांति को मौका देने का समय आ गया है. पाकिस्तान बहुत युद्ध कर चुका और अब शांति चाहता है. उन्होंने ये भी कहा कि अगर शांति की मांग करना अमेरिका के ख़िलाफ़ होना है तो लोग समझ नहीं रहे. उन्होंने कहा कि अमेरिका में कुछ लोगों को लगता है कि आप जब वो नहीं करते जो अमेरिका चाहता है, आप अमेरिका विरोधी कहलाते हैं.


सुपारी किलर नहीं पाकिस्तान
ख़ान ने अमेरिका से पाकिस्तान को लेकर उसके रुख में बदलाव की भी मांग की और कहा कि अमेरिका को पाकिस्तान के साथ अब एक दोस्त के जैसा बर्ताव करना चाहिए, ना कि एक क्लाइंट स्टेट की तरह. क्लाइंट स्टेट वो देश होता है जो दूसरे देश के कर्ज़ में डूबकर उसकी बातें मानने को मजबूर होता है. ख़ान ने ये तक कहा कि अमेरिका को हमें उस सुपारी किलर की तरह समझना बंद कर देना चाहिए जिसे किसी की हत्या के लिए पैसे दिए जाते हैं.


युद्ध का समर्थक नहीं पाकिस्तान
उन्होंने साफ किया कि अब इन सबका समय चला गया है और पाकिस्तान उस दौर से बाहर आ गया है जब ये सब चलता था. देश अब इस युद्ध का समर्थन नहीं कर सकता है. वहीं, उन्होंने कहा कि अमेरिका के लिए भी ये उम्मीदों से भरा है क्योंकि इस चुनाव ने उन्हें शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए एक दोस्त दिया है. इमरान ने कहा कि अफगानिस्तान से निकलने के लिए अमेरिका को इसकी सख्त दरकार है.


Video: लहसुन खरीदने के नाम पर किसान से विश्वासघात की घंटी बजाओ