US की जेल में 86 साल की सजा काट रही है पाकिस्तान की आफिया सिद्दीकी, रिहाई की मांग करने वाला संदिग्ध मारा गया
Pakistani Prisoner Aafia Siddiqui In US: मीडिया ने मामले की जानकारी देने वाले एक अमेरिकी अधिकारी के हवाले से बताया कि मारा गया संदिग्ध व्यक्ति 49 वर्षीय आफिया सिद्दीकी की रिहाई की मांग कर रहा था.
Pakistani Prisoner Aafia Siddiqui In US: अमेरिका की जेल में बंद पाकिस्तानी कैदी आफिया सिद्दीकी की रिहाई के लिए चार लोगों को बंधक बनाने वाले एक संदिग्ध ने मांग की थी. आफिया को अमेरिकी सेना के अधिकारी की हत्या के आरोप में 86 साल की सजा सुनाई गई है. अमेरिकी राज्य में यहूदी उपासनागृह (Synagogue) में 10 घंटे से अधिक समय तक चले गतिरोध के बाद रविवार को चार लोगों को मुक्त कराया गया. वहीं, बंधक बनाने वाला संदिग्ध मारा गया.
मीडिया ने मामले की जानकारी देने वाले एक अमेरिकी अधिकारी के हवाले से बताया कि मारा गया संदिग्ध व्यक्ति 49 वर्षीय आफिया सिद्दीकी की रिहाई की मांग कर रहा था. आफिया के वकील ने अपने दिए एक बयान में कहा कि बंधक बनाने के मामले में उसकी कोई भूमिका नहीं. वकील ने संदिग्ध व्यक्ति की इस हरकत के लिए निंदा की.
अल-कायदा से संबंध होने का संदेह था
अमेरिकी-शिक्षित पाकिस्तानी वैज्ञानिक आफिया सिद्दीकी को 2010 में अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों पर हमला करने के लिए जेल में डाल दिया गया था. वह पहली महिला थी जिस पर अमेरिका को अल-कायदा से संबंध होने का संदेह था, लेकिन आफिया को कभी भी इसके लिए दोषी नहीं ठहराया गया.
18 साल की उम्र में आफिया सिद्दीकी ने बोस्टन के प्रतिष्ठित एमआईटी में अध्ययन के लिए अमेरिका की यात्रा की थी, जहां उसका भाई रहता था. बाद में आफिया ने ब्रैंडिस यूनिवर्सिटी से पीएचडी की डिग्री हासिल की. हालांकि, साल 2001 के 9/11 के आतंकी हमले के बाद वे इस्लामिक संगठनों को डोनेशन के लिए एफबीआई के रडार पर आ गई, जिसका कनेक्शन 10,000 डॉलर की कीमत के नाइट-विजन गॉगल्स और युद्ध पर किताबें खरीदने से जुड़ी हुई थीं.
कराची से बच्चों के साथ गायब हो गई थी
अमेरिका को संदेह था कि आफिया अमेरिका से अल-कायदा में शामिल हुई और फिर पाकिस्तान लौट आई जहां उसने खालिद शेख मोहम्म की फैमिली में शादी की. अमेरिका को संदेह था कि वो 9/11 हमले की साचिश में शामिल में थी. आफिया साल 2003 के आसपास पाकिस्तान के कराची में अपने तीन बच्चों के साथ गायब हो गई थी. पांच साल बाद वो अफगानिस्तान में मिली, जहां उसे गजनी में स्थानीय बलों ने गिरफ्तार कर लिया था.
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