(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
पाकिस्तान में अहमदी समुदाय के पूजा स्थल को गिराया गया, मलबा भी साथ ले गई पुलिस, देखें वीडियो
Ahmadi Community: पाकिस्तान में पुलिस कर्मियों ने अहमदी पूजा स्थल की मीनारों को ध्वस्त कर दिया. इस पूजा स्थल का निर्माण 1956 में किया गया था.
Ahmadi Community Of Pakistan: पाकिस्तानी अधिकारियों ने शुक्रवार (22 दिसंबर) को पंजाब प्रांत में अहमदिया समुदाय के 67 साल पुराने पूजा स्थल की मीनारों को ध्वस्त कर दिया. इस बात की जानकारी जमात-ए-अहमदिया के एक अधिकारी ने दी. उन्होंने कहा कि लाहौर से लगभग 130 किमी दूर फैसलाबाद के समुंद्री में पुलिस कर्मियों को अहमदी पूजा स्थल की मीनारों को ध्वस्त करते देखा गया.
जमात-ए-अहमदिया पाकिस्तान के अधिकारी अमीर महमूद ने पीटीआई-भाषा से कहा कि अहमदी पूजा स्थलों का अपमान लगातार जारी है. शुक्रवार को असिसटेंट कमिश्नर के साथ पुलिस कर्मियों ने फैसलाबाद के समुंद्री में एक अहमदी पूजा स्थल की मीनारों को तोड़ दिया.
'कट्टरपंथी के निशाने पर था पूजा स्थल'
उन्होंने बताया कि अहमदी पूजा स्थल का निर्माण 1956 में किया गया था और पिछले साल से यह कट्टरपंथी के निशाने पर था. महमूद ने कहा कि शुक्रवार को मीनारों को ध्वस्त करने के बाद पुलिस मलबा भी अपने साथ ले गई. अकेले इस साल 42 वीं बार अहमदी पूजा स्थलों का अपवित्र किया गया है. इनमें से ज्यादातर पंजाब में हुईं.
VIDEO | Pakistani authorities demolished the minarets of a 67-year-old worship place of the minority Ahmadi community in Punjab province.
— Press Trust of India (@PTI_News) December 22, 2023
Police personnel were seen demolishing the minarets of the Ahmadi worship place at the Samundri, Faisalabad, some 130 km from Lahore. pic.twitter.com/LB0Up2pqlF
खुद को मुस्लिम मानते हैं अहमदी
पाकिस्तान में अहमदी समुदाय पर आए दिन हमले होते हैं. अहमदी खुद को मुस्लिम मानते हैं. पाकिस्तान की संसद ने 1974 में इस समुदाय को गैर-मुस्लिम घोषित कर दिया था. इसके एक दशक बाद उन पर न सिर्फ खुद को मुस्लिम कहने से बैन लगा दिया गया, बल्कि इस्लाम के नियमों का पालन करने से भी रोक दिया गया.
इनमें ऐसे प्रतीक का निर्माण या प्रदर्शन करना शामिल है जो उन्हें मुसलमानों के रूप में पहचान देता हो जैसे कि मस्जिदों पर मीनार या गुंबद बनाना, या फिर सार्वजनिक रूप से कुरान की आयतें लिखना.
पूजा स्थल को लेकर क्या है कोर्ट का फैसला?
वहीं, अहमदिया समुदाय को लेकर लाहौर हाई कोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि 1984 में जारी एक विशेष अध्यादेश से पहले बनाए गए पूजा स्थल वैध हैं और इसलिए उनमें न तो कोई बदलाव किया जा जाना चाहिए और न ही उन्हें गिराया जाना चाहिए.
टीएलपी ने किए अधिकांश हमले
अधिकांश अहमदी पूजा स्थलों पर तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) ने हमला किया है, जबकि अन्य घटनाओं में पुलिस ने धार्मिक चरमपंथियों के दबाव में मीनारों और मेहराबों को ध्वस्त कर दिया और पवित्र लेखों को मिटा दिया.
महमूद ने कहा कि अहमदी पूजा स्थलों पर हमला करने और उन्हें नुकसान पहुंचाने के लिए धार्मिक चरमपंथियों के खिलाफ अब तक एक भी मामला दर्ज नहीं किया गया है. ऐसे में देश में पहले से ही हाशिए पर मौजूद अहमदियों के लिए हालात दिन-ब-दिन बदतर होते जा रहे हैं. अहमदियों को उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है.
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