Pakistan Latest News: पाकिस्तान के पूर्व नौकरशाह और यूट्यूबर ओर्या मकबूल जान को कथित तौर पर धार्मिक घृणा भड़काने और पाक सेना को बदनाम करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. 72 वर्षीय जान को 22 अगस्त को लाहौर में उनके आवास पर छापेमारी के बाद संघीय जांच एजेंसी (FIA) की साइबर अपराध शाखा ने चार दिनों के लिए हिरासत में रखा.
नाटककार, कवि, स्तंभकार और पूर्व सिविल सेवक सर्वेंट मकबूल जान के यूट्यूब चैनल पर दस लाख से ज़्यादा सब्सक्राइबर हैं. वह सेना की राजनीतिक भूमिका की मुखर आलोचना और जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान का समर्थन करने के कारण पहले भी कई दिनों तक खुफिया एजेंसियों की हिरासत में रखे गए थे.
पीटीआई ने कार्यवाहक सीएम के लिए सुझाया था नाम
पंजाब के पूर्व प्रांतीय मंत्री महमूद-उर-रशीद ने 2018 में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के साथ पंजाब के कार्यवाहक मुख्यमंत्री के उम्मीदवार के तौर पर जान के नाम का सुझाव दिया था. हालांकि, जान की विवादास्पद छवि के कारण इस प्रस्ताव की सोशल मीडिया पर काफ़ी आलोचना हुई. पीटीआई प्रवक्ता फवाद चौधरी ने इस बात की पुष्टि की थी, लेकिन बाद में उन्होंने इसे वापस ले लिया, जिसके कारण जान को सूची से हटा दिया गया. अहमदिया और यहूदी समुदायों के बारे में उनकी आलोचनात्मक टिप्पणियों के कारण उस वर्ष नॉर्वे के लिए जान का वीजा आवेदन खारिज कर दिया गया था. बलूचिस्तान में डिप्टी कमिश्नर के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, जान को तालिबान के सकारात्मक चित्रण के लिए पहचाना गया था.
2019 में, पाकिस्तान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया विनियामक प्राधिकरण (PEMRA) ने नियम उल्लंघन के कारण नियो टीवी पर आने वाले उनके शो "हरफ-ए-राज" पर 30 दिनों का प्रतिबंध लगा दिया था. उन पर पख्तूनों के बारे में अपमानजनक टिप्पणी करने का आरोप लगाया गया था और उन्होंने अफगान तालिबान के प्रवक्ता का इंटरव्यू लिया था, जिसमें पाकिस्तान की घरेलू और विदेशी नीतियों पर उनके विचारों पर चर्चा की गई थी.
ओर्या मकबूल जान विवादों में क्यों हैं?
डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, जान पर आरोप है कि उन्होंने मुबारक सानी मामले से संबंधित एक सोशल पोस्ट में टिप्पणी की थी. 6 फरवरी को पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश काजी फैज ईसा की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने मुबारक सानी की सजा को पलट दिया, जो पंजाब पवित्र कुरान (मुद्रण और रिकॉर्डिंग) (संशोधन) अधिनियम 2019 पर आधारित थी. अदालत ने कहा था कि कथित अपराध को 2021 तक आपराधिक नहीं माना जाएगा, जिसके कारण सजा को रद्द कर दिया गया और सानी को तुरंत रिहा कर दिया गया. जान ने इस फैसले की आलोचना की थी. वहीं जान के वकील मियां अली अशफाक ने तर्क दिया कि उनके मुवक्किल ने किसी का अपमान नहीं किया है और दावा किया है कि उनके खिलाफ आरोप झूठे और निराधार हैं.
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