Pakistan politics News: पाकिस्तान में आर्थिक मुद्दों को सर्वोच्च महत्व देते हुए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अपने बड़े भाई और पार्टी के संस्थापक नवाज़ शरीफ से लंदन में मुलाकात की. सरकार के पहले सत्र की इस बैठक में कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई. पार्टी के वरिष्ठ नेता ख्वाजा आसिफ, मिफ्ताह इस्माइल, मरियम औरंगज़ेब समेत अन्य नेता भी शामिल रहे.


बैठक में आम चुनाव जल्दी कराने के मामले पर भी चर्चा हुई. प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने सत्तारूढ़ मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) की बैठक में मौजूद नेताओं से उनके विचार मांगे. सभी ने एक स्वर में जल्द चुनाव कराने के खिलाफ अपना मत दिया. नेताओं ने प्रधानमंत्री को देश के आर्थिक मामलों पर फैसले लेने का सुझाव दिया. फिलहाल सरकार के लिए देश की आर्थिक स्थिति को सुधारना प्राथमिकता है. बता दें ये बैठक लगातार छः घण्टे तक चली. 


इमरान खान जल्द चुनाव कराने की मांग कर रहे हैं


पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और तहरीके इंसाफ के अध्यक्ष इमरान खान पद से हटाए जाने के बाद से ही लगातार चुनाव जल्द कराने की मांग कर रहे हैं. हालांकि इस मुद्दे को उठाते हुए वे पूर्व प्रधानमंत्री के तौर पर अपनी नाकामियों को छिपा रहे हैं. अपने दौर में इमरान खान ने पाकिस्तान को आर्थिक संकट की स्थिति में पहुंचा दिया है. आज शाहबाज़ के हाथ में सत्ता भले है लेकिन उसके साथ ऐसे संकट से देश को उबारने की ज़िम्मेदारी भी है. पाकिस्तान सरकार के सामने आज बड़े स्तर पर आर्थिक चुनौतियां हैं. ऐसे में सरकार के पहले सत्र में आर्थिक मुद्दों पर चर्चा हुई और चुनाव कराने के फैसले को आगे के लिए टाल दिया गया.  


पार्टियां अब पाकिस्तान की आर्थिक हालत को सुधारने के प्रयास कर रही


सत्र की इस बैठक के बाद सूचना मंत्री मरियम औरंगजेब ने ये जानकारी दी कि वरिष्ठ नेताओं समेत प्रधानमंत्री ने नवाज़ शरीफ को पाकिस्तान की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्थिति पर एक पूरी रिपोर्ट दी गई. पाकिस्तान कि आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए पीएमएल-एन सुप्रीमो नवाज़ शरीफ ने पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो ज़रदारी के साथ बीते दिनों कई बैठकें की. दोनों पार्टियां अब पाकिस्तान की आर्थिक हालत को सुधारने के लिए कड़े प्रयास कर रही हैं. 


इमरान खान सत्ता में दोबारा आने की कोशिश कर रहे


गौरतलब है कि इमरान खान सत्ता में दोबारा आने की कोशिश कर रहे हैं. शाहबाज़ शरीफ भी इस साल के अंत तक सत्ता में रहकर आगे अपने फायदे का सोच रहे हैं. दरअसल नवंबर में अगले आर्मी चीफ की नियुक्ति होगी जिसपर दोनों की नज़रें टिकी हैं. दोनों ही अपनी पसंद का आर्मी चीफ नियुक्त कर आगे के लिए अपना रास्ता साफ़ करना चाहते हैं.


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