Pakistani Hindu community: पाकिस्तान में हिंदू समुदाय की माली हालत इस कदर खराब है कि इसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता है. भारत में जहां केंद्र और राज्य की सरकारें सभी गरीबों को पक्का मकान, शौचालय और हर घर में नल दे रही है, वहीं पाकिस्तान में हिंदुओं की हालात बेहद खराब हैं. पाकिस्तान के ही एक यूट्यूबर ने पाकिस्तानी हिंदुओं की स्थिति का जायजा लिया है, साथ ही दिखाया है कि किस तरह से पाकिस्तान में हिंदू समुदाय के लोग रहता हैं. 


यदि हम पाकिस्तान में हिंदुओं की संख्या के बारे में बात करें तो पाकिस्तान सांख्यिकी ब्यूरो की साल 2023 की रिपोर्ट के मुताबिक, मौजूदा समय में पाकिस्तान में हिदुओं की संख्या महज 53 लाख बची है. जबकि मौजूद समय में पाकिस्तान में कुल आबादी करीब 24 करोड़ है. हैरानी की बात यह है कि पाकिस्तानी में रहने वाले ज्यादातर हिंदूओं की हालत बेहद खराब है. ये लोग किसी तरह से मेहनत मजदूरी करके घर चला रहे हैं. 


पाकिस्तान में महज 53 लाख हिंदू
पाकिस्तान साख्यिकी ब्यूरो की रिपोर्ट बताती है कि साल 2023 में 24 करोड़ की आबादी वाले पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की संख्या महज 87 लाख थी. इसमें हिंदुओं की आबादी 53 लाख है. वैसे तो पाकिस्तान में हिंदू दूसरी सबसे बड़ा धर्म है, लेकिन पाकिस्तान में हिंदुओं की माली हालत बेहद खराब है. पाकिस्तानी यूट्यूबर प्रीतम दास ने अपने यूट्यूब चैलन व्लॉगर दास पर पाकिस्तान के हिंदुओं की स्थिति को दिखाने का प्रयास किया है.
  
झोपड़ी बनाकर रहते हैं पाकिस्तानी हिंदू
पाकिस्तान में हिंदुओं की स्थिति को जानने के लिए यूट्यूबर प्रीतम दास पंजाब जिले के रहीम यार खान जिले के एक गांव में पहुंचे थे. यहां पर उन्होंने बताया कि पाकिस्तान में रह रहे हिंदू ज्यादातर दलित समुदाय से आते हैं. जिस गांव में वह पहुंचे थे उसमें भी सभी दलित समुदाय के लोग रहते हैं. किसी पास ठीक से घर नहीं है. मिट्टी और झोपड़ी का घर बनाकर लोग किसी तरह से जीवन-यापन कर रहे हैं. 



पाकिस्तान में हिंदुओं के बच्चे नहीं जाते स्कूल
पाकिस्तान लोगों ने बताया कि उनके पास रोजगार नहीं है, किसी तरह मजदूरी करके घर चलाते हैं. बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं, क्योंकि उनके पैस स्कूल भेजने का पैसा नहीं है. सरकारी स्कूल में भी फीस लगती है. एक शख्स ने बताया कि वह दूसरों के जानवरों को पालता है, जिसके बदले में उसे पैसे मिलते हैं. साथ खेती करते हैं. कुछ लोगों ने बताया कि वे लोग मजदूरी करते हैं. पक्का घर नहीं होने के सवाल पर कहा कि ईंट खरीदने के लिए पैसा चाहिए जो है नहीं. ईंट तो पैसे से मिलते हैं, इसलिए वे लोग झोपड़ी बनाकर ही रहते हैं.


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