Lok Sabha Elections Result 2024: लोकसभा चुनाव 2024 में पिछले चुनाव के मुकाबले बीजेपी को 63 सीटों का नुकसान हुआ है, लेकिन चुनाव परिणाम आने के बाद इस बार सबसे अधिक चर्चा अयोध्या सीट की रही. क्योंकि अयोध्या सीट राम मंदिर की राजनीति का केंद्र है, इस सीट पर बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा. अब इसपर पाकिस्तान मीडिया समेत दुनियाभर की मीडिया से प्रतिक्रिया आई है.


बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन ने बहुमत के लिए 272 सीटों का आंकड़ा पार कर लिया है, लेकिन स्वतंत्र रूप से बीजेपी को बहुमत हासिल नहीं हुआ है. इसके अलावा बीजेपी ने 370 सीट और एनडीए के साथ 400 सीटों के लक्ष्य को भी हासिल नहीं कर पाई. इस बार के चुनाव में 240 सीटों के साथ बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, दूसरी तरफ कांग्रेस 100 सीटों तक भी नहीं पहुंच सकी. कांग्रेस को महज 99 सीटों पर संतोष करना पड़ा है. 


हिंदू राष्ट्रवादी पार्टी के लिए कमजोर समर्थन
वाशिंगटन पोस्ट ने लिखा, 'लोकलुभावन प्रधानमंत्री मोदी 23 साल के अपने राजनीति करियर में कभी भी केंद्र या राज्य के चुनावों में बहुमत हासिल करने में पीछे नहीं हुए हैं. पिछले चुनावों में उन्होंने बड़ी जीत का आनंद लिया, लेकिन इस बार मोदी को सियासी झटका लगता दिख रहा है. शुरुआती वोटों के आंकड़े उनकी हिंदू राष्ट्रवादी पार्टी के लिए कमजोर समर्थन दिखा रहा है.'


न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपने लेख में लिखा, 'नरेंद्र मोदी के चारों तरफ फैली अजेयता की आभा टूट गई है. मंगलवार को बीजेपी ने अपने सबसे पसंदीदा सीट अयोध्या को खो दिया है. यह उत्तर प्रदेश से बीजेपी के लिए सबसे बड़ा चुनावी झटका है.'  


पाकिस्तानी मीडिया ने अयोध्या पर क्या कहा?
पाकिस्तानी अखबार द डान ने लिखा, 'भारत में वोटों की गिनती से पता चलता है कि मोदी का गठबंधन आश्चर्यजनक रूप से मामुली अंतर के साथ बहुमत हासिल कर रहा है. बीजेपी ने अयोध्या में हार स्वीकार कर ली है, जहां पर नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर का उद्घाटन किया था. राहुल गांधी कहते हैं कि मतदाताओं ने बीजेपी को वोट से जवाब दिया है. विशेष रूप से यूपी की अयोध्या सीट बीजेपी हार रही है. यह वही निर्वाचन क्षेत्र हैं, जहां पर बीजेपी की सबसे प्रतिष्ठित परियोजना राम मंदिर है. यह कई लोगों के लिए बड़ा झटका है.'


भारत में गठबंधन राजनीति की वापसी
अल जजीरा ने लिखा, 'भारत के संसद में चुनौतियां आने वाली हैं. ऐसे कई बिल हैं, जिन्हें पारित करने के लिए चुनौतियों का सामना करने पड़ेगा. पिछले चुनावों में बीजेपी ने प्रचंड बहुमत हासिल किया था, ऐसे में बीजेपी को समझौता नहीं करना पड़ता था.' फाइनेंशियल टाइम्स ने लिखा, 'यह रिजल्ट गंठबंधन राजनीति की वापसी करेंगा. कई भारतीयों को बीजेपी के प्रचंड जीत का अनुमान था. इसे नरेंद्र मोदी के एक दशक के कार्यकाल के लिए जनमत संग्रह के तौर पर देखा जा रहा है.'


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