(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Tarek Fateh Death: पाकिस्तानी मूल के लेखक तारिक फतेह का निधन, खुद को बताते थे भारत का बेटा
Tarek Fatah Dies: तारिक फतेह हमेशा अपनी बात मुखरता के साथ रखने के लिए जाने जाते थे. आतंकवाद और पाकिस्तान को लेकर दिए गए अपने बयानों को लेकर वे अक्सर चर्चा में रहते थे.
Tarek Fateh Death: पाकिस्तानी मूल के कनाडाई लेखक और पत्रकार तारिक फतेह का सोमवार को निधन हो गया. वे 73 साल के थे. वे काफी लम्बे समय से बीमार चल रहे थे. उनके निधन की जानकारी उनकी बेटी नताशा ने ट्वीट करके दी. तारिक फतेह का जन्म 1949 में कराची में हुआ था. हालांकि उनका लगाव भारत के साथ कुछ ज्यादा ही रहा.
तारिक फतेह की बेटी नताशा ने ट्वीट कर लिखा कि पंजाब के शेर, हिन्दुस्तान के बेटे, कनाडा के प्रेमी, सत्य के वक्ता और न्याय के योद्धा का निधन हो गया है. उनकी क्रांति उन लोगों के जरिए बनी रहेगी, जो उन्हें जानते थे और प्यार करते थे.
धार्मिक कट्टरता के खिलाफ तारिक फतेह
तारिक फतेह हमेशा अपनी बात मुखरता के साथ रखने के लिए जाने जाते थे. आतंकवाद और पाकिस्तान को लेकर दिए गए अपने बयानों को लेकर वे अक्सर चर्चा में रहते थे. धार्मिक कट्टरता के खिलाफ रहे तारिक फतेह खुद को हिन्दुस्तान का बेटा मांगते थे. उनके निधन पर यह बात उनकी बेटी नताशा ने ट्ववीट में लिखा भी है.
तारिक फतेह भारतीय संस्कृति के मुरीद थे, जिस बात से पाकिस्तान हमेशा बौखलाया रहता था. अपनी राय मुखरता से रखने के कारण उन्हें पाकिस्तान में खतरा लगने लगा, तब उन्होंने 1987 में कनाडा का रुख कर लिया था. कनाडा जाने के बाद वो वहीं के हो गए. तारिक फतेह ने धार्मिक कट्टरता पर बेहद बेबाकी से अपनी राय रखी.
Lion of Punjab.
— Natasha Fatah (@NatashaFatah) April 24, 2023
Son of Hindustan.
Lover of Canada.
Speaker of truth.
Fighter for justice.
Voice of the down-trodden, underdogs, and the oppressed.@TarekFatah has passed the baton on… his revolution will continue with all who knew and loved him.
Will you join us?
1949-2023 pic.twitter.com/j0wIi7cOBF
सोशल मीडिया पर पॉपुलर थे तारिक फतेह
कनाडा जाने के बाद उन्होंने बतौर रिपोर्टर अपने करियर का आगाज किया था. हालांकि आगे चलकर वे रेडियो और टीवी में कॉमेंट्री करते भी नजर आए. उनकी सोशल मीडिया पर भी अच्छी खासी फॉलोइंग थी. तारिक फतेह का परिवार बंबई (अब मुंबई) का रहने वाला था, लेकिन बंटवारे के बाद कराची चला गया था. उन्होंने कराची यूनिवर्सिटी से बायोकेमिस्ट्री की पढ़ाई की थी, लेकिन बाद में पत्रकारिता में आ गए. उन्हें अपने पत्रकारिता के दौरान पाकिस्तान में दो बार जेल भी जाना पड़ा था.
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