पाकिस्तान के अशांत बलूचिस्तान प्रांत में जिस ट्रेन को उग्रवादियों ने मंगलवार (11 मार्च, 2025) को निशाना बनाया, उसके एक यात्री मुश्ताक मोहम्मद ने आपबीती सुनाते हुए कहा कि हमले के उस खौफनाक मंजर को वह कभी भुला नहीं पाएंगे. एक और यात्री ने कहा कि वो कयामत जैसा मंजर था. 


मुश्ताक उन यात्रियों में शामिल हैं जिन्हें यात्री ट्रेन पर ब्लूच उग्रवादियों के हमले के बाद बचाया गया. सुरक्षा अधिकारियों के अनुसार, पाकिस्तान के अशांत बलूचिस्तान प्रांत में मंगलवार को एक सुरंग में बलूच उग्रवादियों ने एक यात्री ट्रेन पर हमला किया, जिसके बाद सुरक्षा बलों ने कम से कम 27 उग्रवादियों को मार गिराया और 155 यात्रियों को बचा लिया गया.


बीबीसी उर्दू की एक रिपोर्ट के अनुसार, ट्रेन के डिब्बा संख्या तीन में सवार मुश्ताक ने कहा, 'हमले की शुरुआत में एक बड़ा विस्फोट हुआ.' उन्होंने कहा, 'इसके बाद गोलीबारी शुरू हो गई जो एक घंटे तक जारी रही. यह ऐसा मंजर था जिसे कभी नहीं भुलाया जा सकता.'


इसी ट्रेन के डिब्बा संख्या सात में सवार इशाक नूर नाम का यात्री अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ क्वेटा से रावलपिंडी जा रहा था. इशाक नूर ने कहा, 'विस्फोट इतना जोरदार था कि ट्रेन की खिड़कियां और दरवाजे हिल गए और मेरे पास बैठा मेरा एक बच्चा नीचे गिर गया.' उन्होंने कहा, 'गोलीबारी करीब 50 मिनट तक चली होगी... इस दौरान हम सांस तक नहीं ले पा रहे थे, हमें नहीं पता था कि क्या होगा.'


मुश्ताक ने कहा कि गोलीबारी धीरे-धीरे बंद हो गई और हथियारबंद लोग ट्रेन के डिब्बों में घुस आए. इशाक नूर ने कहा, 'उन्होंने कुछ लोगों के पहचान पत्र देखने शुरू कर दिए और उनमें से कुछ को अलग कर दिया. तीन उग्रवादी हमारे डिब्बे के दरवाजों पर पहरा दे रहे थे. उन्होंने लोगों से कहा कि वे आम नागरिकों, महिलाओं, बूढ़े और बलूच लोगों से कुछ नहीं कहेंगे.'


मुश्ताक ने कहा कि हमलावर आपस में बलूची भाषा में बात कर रहे थे और उनका नेता उनसे बार-बार कह रहा था कि वे सुरक्षाकर्मियों पर खास नजर रखें और वे हाथ से निकलने न पाएं. इशाक ने कहा, 'मुझे लगता है कि उन्होंने हमारे डिब्बे से कम से कम 11 यात्रियों को नीचे उतारा और कहा कि वे सुरक्षाकर्मी हैं. इस दौरान एक व्यक्ति ने विरोध करने की कोशिश की जिसके बाद उसे प्रताड़ित किया गया और फिर गोलियों की आवाज आई. इसके बाद डिब्बे में मौजूद सभी लोगों ने उनके निर्देशों का पालन किया.'


उन्होंने कहा, 'वे मुझे जाने नहीं दे रहे थे लेकिन जब मैंने उन्हें बताया कि मैं तुर्बत (बलूचिस्तान) का निवासी हूं और मेरे साथ बच्चे और महिलाएं हैं तो उन्होंने मुझे भी जाने दिया.' एक अन्य यात्री मोहम्मद अशरफ ने कहा कि उग्रवादियों ने बुजुर्गों, नागरिकों, महिलाओं और बच्चों को जाने दिया.


उन्होंने कहा, 'यात्री बहुत डरे हुए थे, यह कयामत के दिन जैसा खौफनाक मंजर था.' अशरफ ने कहा, 'मेरे अनुमान के अनुसार, वे (उग्रवादी) अपने साथ करीब 250 लोगों को ले गए थे और हमलावरों की संख्या करीब 1,100 थी.'


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