'खाड़ी देशों से हर साल 12 अरब डॉलर आता है और पाकिस्तानी वहां ये क्या कर रहे?', भारत, बांग्लादेश और नेपाल का जिक्र कर PAK एक्सपर्ट ने जताई चिंता
कमर चीमा ने आगे बताया कि हर साल पाकिस्तान से 80 लाख लोग बाहर जाते हैं, जिनमें से सिर्फ 2-3 लाख ही वापस आते हैं. 96 फीसदी लोग खाड़ी देशों में जाते हैं क्योंकि दूसरे देशों वीजा नहीं मिलता है.
संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब समेत तमाम खाड़ी देशों में पाकिस्तानी नागरिकों को लेकर जो खुलासे हुए हैं, उस पर पाक एक्सपर्ट कमर चीमा ने चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि इन देशों में बहुत बड़ी संख्या में पाकिस्तानी बसे हैं, जो हर साल 12 अरब डॉलर से ज्यादा पैसा हर साल अपने परिवारों को पाकिस्तान भेजते हैं. उन्होंने कहा कि यूएई और सऊदी में पाकिस्तानी जिन गतिविधियों में शामिल हैं, उसकी वजह से इन देशों ने अब नेपाल बांग्लादेश और भारत की लेबर पर ज्यादा ध्यान देना शुरू कर दिया है.
उन्होंने कहा कि खाड़ी देशों की ओर से पाकिस्तानियों के लिए वीजा में कमी आई है. फिर जब हमारे मुल्क के लोगों को वीजा नहीं मिलता है तो पाकिस्तानी चीखते हैं कि भारतीयों, बांग्लादेशियों और नेपालियों को क्यों सपोर्ट किया जा रहा है. उन्होंने कहा, 'पाकिस्तानी कहते हैं कि ये मुल्कि हमारे मुसलमान भाई हैं फिर भी हमारी नहीं सुन रहे. मुसलमान भाई होने का ये मतलब नहीं है न कि आप उनकी जिंदगी में मुश्किलें पैदा कर दें और जिंदगी हराम कर दें.'
कमर चीमा ने कहा, 'सवाल ये है कि गल्फ कॉपरेशन काउंसिल (GCC) के जितने भी देश हैं, ये पाकिस्तान से पहले कश्मीर के मुद्दे को बड़ा उठाते रहे. फिर ये हमारी फाइनेंशियल जरूरतें पूरा करते रहे और पाकिस्तानियों को नौकरियां दीं इसलिए 12 अरब डॉलर से ज्यादा पैसा वहां रह रहे पाकिस्तानी यहां अपने परिवारों को भेज रहे हैं. अगर इतना पैसा न आए तो पाकिस्तानियों को पता चल जाना है.'
एक्सपर्ट कमर चीमा ने आगे बताया कि हर साल पाकिस्तान से 80 लाख लोग बाहर जाते हैं, जिनमें से सिर्फ 2-3 लाख ही वापस आते हैं. 96 फीसदी लोग खाड़ी देशों में जाते हैं क्योंकि यूरोप वगैरह पाकिस्तानियों को वीजा ही नहीं देते हैं. उन्होंने कहा कि यूएई में पाकिस्तानियों का कोटा 1.6 मिलियन से 1.8 मिलियन हो गया है. अब होता ये है कि पाकिस्तानी जब मलेशिया और दुनिया में कहीं भी जाते हैं तो स्लिप हो जाते हैं.
उन्होंने कहा, 'इराक में 50 हजार पाकिस्तानी स्लिप हो गए. ये क्या है, क्या ये मॉरली डिजेनेरेशन है, सोसाइटी बैंकरप्ट हो गई है या इकोनॉमिकली हालात इतने ज्यादा खराब हो गए हैं कि लोग भागने को तैयार हैं. भारत के पासपोर्ट पर भारतीय 65 या 85 मुल्कों में वो वीजा ऑन अराइवल हैं. पाकिस्तानी शायद 32 मुल्कों में वीजा ऑन अराइवल हैं. हमारे मुल्क की जो वर्कफोर्स है, उस पर लोग भरोसा नहीं कर रहे हैं. आप इंडियंस को देखें वो पढ़े-लिखे भी हैं, वो किसी क्राइम में भी शामिल नहीं है. मुझे किसी ने फ्रांस में बताया कि सबसे अच्छी लेबर नेपाली है. उन्हें जो काम कह दो वो चुपचाप से लगे रहते हैं उसमें.'
जीशान खानजादा की अध्यक्षता में सीनेट स्टैंडिंग कमेटी की बैठक हुई, जिसमें कहा गया कि खाड़ी मुल्क लेबर के लिए बांग्लादेश जैसे देशों की तरफ ध्यान दे रहीे हैं. कमेटी ने जोर देकर कहा कि सरकार इसे नजरअंदाज कर रही है, जबकि इस क्षेत्र में ज्यादा संभावना है. इस पर मिनिस्ट्री ऑफ ओवरसीज पाकिस्तानी और ह्यूमन रिसॉर्स डेवलपमेंट के सेक्रेटरी डॉ. अरशद महमूद ने गल्फ देशों में पाकिस्तानियों की स्थिति की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि यूएई में 50 फीसदी आपराधिक घटनाओं में पाकिस्तानी शामिल होते हैं.
उन्होंने कहा कि हाल ही में यूएई पाकिस्तानी के व्यवहार को लेकर भी चिंता व्यक्त कर चुका है, जिनमें महिलाओं की इजाजत के बगैर उनकी वीडियो बनाने जैसी हरकतें शामिल हैं. उन्होंने यह भी बताया कि मॉर्डनाइजेशन और एडवांस्ड टेक्नोलॉजी के दौर में गल्फ देशों का ध्यान अनस्किल्ड पाकिस्तानियों से हटकर दूसरे देशों की ओर बढ़ा है. सीनेट कमेटी ने पिछले साल सितंबर में यह भी बताया था कि इराक और सऊदी अरब में कई पाकिस्तानी भिखारी हैं, जो धार्मिक यात्रा के लिए यहां गए. उन्होंने कहा कि इनमें से ज्यादातर उमराह के लिए सऊदी गए और फिर भीख मांगने जैसी गतिविधियों में शामिल हो गए. सऊदी प्रशासन का कहना है कि वहां के भिखारियों में से 90 फीसदी पाकिस्तानी हैं.
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