Marvia Malik Attack: पाकिस्तान की पहली ट्रांसजेंडर न्यूज एंकर मार्विया मलिक पर जानलेवा हमला, बाल-बाल बची जान
Pakistan: 26 वर्षीय मार्विया मलिक एक फार्मेसी से लौट रही थीं तभी दो हमलावरों ने उनकी हत्या करने का प्रयास करते हुए उन पर गोलियां चलाई.
Transgender Anchor Marvia Malik: पाकिस्तान में कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ चुकी हैं. हालात इतने चिंताजनक हैं कि मुल्क में कहीं भी बम फट जाता है और कहीं भी किसी को भी गोली मार दी जाती है. अब पाकिस्तान की पहली ट्रांसजेंडर न्यूज एंकर मार्विया मलिक पर जानलेवा हमला हुआ है. मार्विया मलिक पर लाहौर में गुरुवार (23 फरवरी) को रात में उनके आवास के बाहर ही अंधाधुंध फायरिंग की गई.
डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, 26 वर्षीय मार्विया मलिक एक फार्मेसी से लौट रही थीं. इस दौरान दो हमलावरों ने उनकी हत्या का प्रयास करते हुए उन पर गोली चलाई. इस हमले में वह बाल-बाल बचीं. मलिक ने पुलिस को बताया कि उन्हें कुछ समय पहले से फोन पर धमकी मिल रही थी. इस हमले के पीछे उन्होंने अपनी सक्रियता का हवाला दिया.
कई दिनों से मिल रही थीं धमकियां
वह कुछ समय के लिए सुरक्षा कारणों की वजह से लाहौर से बाहर चली गई थीं. मलिक ने पुलिस को बताया, "मैं पाकिस्तान में ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए आवाज उठाने का काम कर रही थी. इस काम का कई लोग विरोध भी कर रहे थे. पिछले कुछ समय से धमकी भरे फोन आ रहे थे. 2018 में मलिक ने इस्लामिक रिपब्लिक में न्यूज एंकर बनने वाली पहली ट्रांसजेंडर व्यक्ति बनकर इतिहास रच दिया."
बचपन से बनना चाहती थी न्यूज एंकर
मार्विया मलिक को बचपन से ही न्यूज एंकर बनने का शौक था. मार्विया मलिक ने इतिहास रचते हुए साल 2018 में पहली बार इस्लामिक देश पाकिस्तान में ट्रांसजेंडर होकर न्यूज एंकर बन के करियर की शुरुआत की. वो पाकिस्तान में स्थित कोहेनूर न्यूज टीवी की एंकर हैं. उन्होंने कई इंटरव्यू में खुलासा किया कि उनके लिए ये रास्ता आसान नहीं था.
परिवार से भी नहीं मिला समर्थन
अपने संघर्ष के बारे में बात करते हुए मार्विया मलिक ने वॉयस ऑफ अमेरिका को इंटरव्यू में बताया था, "अन्य ट्रांस लोगों की तरह, मुझे अपने परिवार से कोई समर्थन नहीं मिला. अपने दम पर, मैंने कुछ छोटे-मोटे काम किए और अपनी पढ़ाई जारी रखी. मैं हमेशा एक न्यूज एंकर बनना चाहती थी और मेरा चयन होने पर मेरा सपना सच हो गया." अपने काम के जरिए वह ट्रांसजेंडर समुदाय के बारे में धारणा बदलने की उम्मीद करती हैं.
बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा
समाचार एजेंसी एपी को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, "हमारी डिग्रियां किसी काम की नहीं हैं. भले ही हम नौकरी मांगें, हमें हमारी पहचान के कारण खारिज कर दिया जाता है, मैं इस मानसिकता को बदलना चाहती हूं." उन्होंने आगे कहा था, "अगर मौका दिया जाए तो ट्रांसजेंडर लोग भी कुछ भी करने में समान रूप से सक्षम हैं."
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