बदीन (पाकिस्तान): पाकिस्तान के सिंध प्रांत के मुख्यमंत्री मुराद अली शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री इमरान खान नकदी के संकट से जूझ रहे अपने देश के लिए दुनियाभर में घूमकर वित्तीय मदद की भीख मांग रहे हैं. बदीन के मातली में रविवार को एक रैली को संबोधित करते हुए पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के नेता शाह ने कहा, "इमरान खान (आर्थिक मदद की) भीख मांगने के लिए एक देश से दूसरे देश जा रहे हैं."
समा टीवी की रिपोर्ट के मुताबिक शाह ने कहा कि जिन्हें राजनीति का कोई अनुभव नहीं है, उन्हें सरकार में शामिल किया गया है. संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने पांच जनवरी को पाकिस्तान को उसके बैलेंस ऑफ पेमेंट की चुनौती का समाधान करने में मदद के लिए 6.2 अरब डॉलर का पैकेज देने का फैसला लिया.
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के क्राउन प्रिंस शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान रविवार को पाकिस्तान यात्रा पर थे. इस दौरान उन्होंने वहां यूएई की तरफ से पाकिस्तान की कमजोर अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए लगभग 434 अरब रुपए की आर्थिक मदद की डील को अंतिम रूप दिया. यूएई ने पाकिस्तान को ऐसे समय में मदद दी है जब वह इंटरनेशनल मोनेट्री फंड (आईएमएफ) से 560 अरब रुपए के बेल आउट पैकेज के लिए प्रयास कर रहा है.
लोन बढ़ने के कारण पाकिस्तान पर बैलेंस ऑफ पैमेंट का क्राइसिस हो गया है जिससे वहां की अर्थव्यवस्था काफी कमजोर हो गई है. यूएई के द्वारा कुल सहायता राशि कैश में नहीं दी जाएगी. सहायता की कुछ रकम कैश और कुछ आयातित तेल के दाम बाद में चुकाने के रूप में दी जाएगी. यूएई ने पाकिस्तान को जिस तरह की मदद दी है उसी तरह की मदद सऊदी अरब ने पाकिस्तान को इससे पहले दी है.
यूएई के द्वारा दिए जाने वाले पैकेज को अंतिम रूप गुरुवार को दिया गया जिसके बारे में पाकिस्तान के एक कैबिनेट मंत्री ने जानकारी दी. पाकिस्तान को सऊदी अरब और यूएई से जितनी रकम की मदद दी गई है वह पाकिस्तान के कुल तेल आयात का 60 प्रतिशत है. तेल आयात के रूप में इतनी बड़ी रकम के तत्काल खर्च से छूट मिलने से पाकिस्तान अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान कर पाएगा. इससे पहले चीन ने भी पाकिस्तान को आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है.
हालांकि, चीन कितने करोड़ रुपए की मदद पाकिस्तान को देगा अभी इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हर हाल में यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि आईएमएफ से मिलने वाले लोन से पाकिस्तान चीन को अपना कर्जा ना चुका पाए. अमेरिका का मानना है कि चीन का पाकिस्तान पर बड़ा कर्ज वहां की अर्थव्यवस्था की कमजोरी के लिए जिम्मेदार है.
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