Panj Tirath Issue Pakistan: पाकिस्‍तान में खैबर पख्तूनख्वा प्रांत स्थित फैमिली पार्क और ऐतिहासिक हिंदू धार्मिक स्थल 'पंज तीरथ' (Panj Tirath Pilgrimage) को कट्टरपंथियों ने खाली कराने और उस पर अतिक्रमण की कई बार कोशिश की. एक रसूखदार ने इसके भवन पर कब्‍जा भी कर लिया है. यह मामला कई साल से अदालत में चल रहा है. शुक्रवार (10 फरवरी) को एक अदालत ने पंज तीरथ से जुड़े भूमि सीमांकन मामले में दलीलें सुनने के बाद एक शीर्ष सरकारी अधिकारी को तलब किया.


पंज तीरथ, जिसे वहां मौजूद 5 जल कुंडों से यह नाम मिला था, को 2019 में उत्तर-पश्चिम पाकिस्तान में प्रांतीय खैबर पख्तूनख्वा सरकार द्वारा राष्ट्रीय विरासत घोषित किया गया था. हालांकि यह विरासत स्थल, दो मंदिरों और एक प्रवेश द्वार के साथ, जीर्ण-शीर्ण स्थिति में है और इसे पुरातात्विक संरक्षण की आवश्यकता है. इसकी अधिकांश भूमि चाचा यूनुस फैमिली पार्क के स्वामित्व में है, जबकि भवनों का उपयोग पार्क के मालिक द्वारा गोदामों के रूप में किया जा रहा है.


पंज तीरथ मामले पर पेशावर हाईकोर्ट में सुनवाई


इस मामले में गुरुवार को पेशावर हाईकोर्ट की दो सदस्यीय पीठ ने दलीलें सुनीं और पेशावर शहर के उपायुक्त को तलब किया. न्‍यूज एजेंसी PTI की रिपोर्ट के मुताबिक, खैबर पख्तूनख्वा के पुरातत्व निदेशक अब्दुस समद खान, अतिरिक्त महाधिवक्ता सिकंदर हयात शाह और औकाफ विभाग के अधिकारी अदालत में पेश हुए. जहां समद ने कोर्ट में कहा कि उनके विभाग ने औकाफ विभाग और पार्क प्रशासन के साथ कई बैठकें की हैं.


समद खान ने कहा कि मामले से संबंधित कुछ समस्याओं का समाधान कर लिया गया है, उन्‍होंने यह भी कहा कि भूमि सीमांकन का मुद्दा अनसुलझा है. सरकार के रिकॉर्ड के अनुसार, पंज तीरथ द्वारा कवर किया गया कुल क्षेत्रफल लगभग 14 कनाल (1.75 एकड़) और सात मरला (0.04 एकड़) है. हालांकि, एक बड़ा हिस्सा अब चाचा यूनुस फैमिली पार्क का हिस्सा है, जिसे जिला सरकार द्वारा पट्टे पर दिया गया है. 


बता दें कि राष्ट्रीय धरोहर घोषित हिंदू धार्मिक स्थल 'पंज तीरथ' में कभी धार्मिक स्थल के पांच ताल हुआ करते थे. मगर, अवैध कब्‍जा करने वालों ने यहां की हालत बिगाड़ कर रख दी. 


तीर्थ की काफी भूमि कब्‍जा कर ली गई


खैबर पख्तूनख्वा के पुरातत्व निदेशक समद ने जो बयान अदालत में दिया, उसमें उन्‍होंने कहा, "पार्क प्रशासन पुरातत्व विभाग को केवल एक कनाल (0.125 एकड़) और 11 मरला देना चाहता था, जबकि हमारे पुरातत्व स्थल में 5 कनाल (0.625 एकड़) और 11 मरला (0.06 एकड़) शामिल हैं." अधिकारी ने कहा कि पार्क प्रशासन ने अधिकारियों को पार्क के जरिए मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया. वहीं, औकाफ विभाग के अधिकारी ने कहा, "हमें पार्क और पुरातात्विक स्थल के बीच भूमि सीमांकन से संबंधित अन्य समस्याओं के समाधान के लिए और समय चाहिए, जिसमें पंज तीरथ मंदिर भी है."


पेशावर में एक महत्वपूर्ण हिंदू तीर्थ स्थल था पंज तीरथ


पंज तीर्थ 1947 से पहले पेशावर में एक महत्वपूर्ण हिंदू तीर्थ स्थल था. पुरातत्वविद् एसएम जाफर ने 1952 में प्रकाशित अपनी पुस्तक 'एन इंट्रोडक्शन टू पेशावर' में लिखा था कि, "पंज-तीर्थ (पांच टैंक) रुचि और पुरातनता के स्थानों में से एक है. यह बात पेशावर में या उसके आसपास, बौद्ध काल की डेटिंग से सामने आई. फ्राइडे टाइम्स अखबार की 2019 की रिपोर्ट के अनुसार, पुरातत्वविदों का मानना ​​है कि पंज तीरथ में बुद्ध के भिक्षापात्र के निशान हैं.,”


यहां स्‍नान करने के लिए आते थे राजा पांडु


ऐसा माना जाता है कि महाभारत में एक पौराणिक राजा, पांडु, इसी क्षेत्र के थे और हिंदू कार्तिक के महीने (23 अक्टूबर और 21 नवंबर के बीच) के दौरान इन कुंडों में स्नान करने के लिए आते थे और पेड़ों के नीचे 2 दिनों तक पूजा करते थे. 


1747 में अफगान दुर्रानी राजवंश के शासनकाल के दौरान इस साइट को क्षतिग्रस्त कर दिया गया था और 1834 में सिख शासन की अवधि के दौरान स्थानीय हिंदुओं द्वारा बहाल किया गया था और पूजा फिर से शुरू हुई थी.


पुरातत्व निदेशालय ने खैबर पख्तूनख्वा सरकार से अतिक्रमण की जगह को खाली करने और पुरातत्वविदों को अति आवश्यक संरक्षण कार्य करने की अनुमति देने के लिए कहा है. साथ ही साइट के चारों ओर बाउंड्री वॉल बनाने की भी मांग की है.


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