Paris Olympic 2024 : नीरज चोपड़ा की मां ने कहा- अरशद नदीम भी मेरा बेटा, उधर पाक खिलाड़ी के पिता ने क्या कह दिया
Paris Olympic 2024 : नीरज चोपड़ा की मां सरोज देवी ने कहा, हम बहुत खुश हैं, हमें तो सिल्वर भी गोल्ड जैसा लग रहा है. आगे कहा-हर खिलाड़ी का दिन होता है.
Paris Olympic 2024 : पेरिस ओलंपिक 2024 में पाकिस्तान के जैवलिन खिलाड़ी अरशद नदीम ने गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया. वहीं, भारत के नीरज चोपड़ा ने सिल्वर मेडल मिला. इस जीत के बाद अरशद के पिता और नीरज चोपड़ा की मां के बयान काफी वायरल हो रहे हैं. नीरज चोपड़ा की मां उनके मेडल जीतने से काफी खुश हैं. उन्होंने ANI से पाकिस्तानी जैवलिन खिलाड़ी अरशद को लेकर भी दिल जीत लेने वाला बयान दिया है. नीरज चोपड़ा की मां सरोज देवी ने कहा, हम बहुत खुश हैं, हमें तो सिल्वर भी गोल्ड जैसा लग रहा है. जब उनसे अरशद के बारे में बात की तो उन्होंने कहा कि कोई बात नहीं, जो गोल्ड ले गया है वो भी हमारा लड़का है. मेहनत करके हासिल किया है. हर खिलाड़ी का दिन होता है.
अरशद के पिता ने याद किए पुराने दिन
वहीं, बेटे की जीत की खुशी में अरशद के पिता मुहम्मद अशरफ भी काफी भावुक हैं. उन्होंने मीडिया से बातचीत करते समय अपने बेटे के स्ट्रगल के दिन याद दिलाए. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पिता ने कहा, मैंने राजमिस्त्री का काम किया है और अरशद अक्सर मेरे साथ काम पर जाता था, इसके अलावा गांव में टेंट पेगिंग सत्र भी देखता था. 2010 में उसने मुझसे क्रिकेट बैट और बॉल लाने को कहा था. गांव के मैदान में ही अरशद ने क्रिकेट खेलना शुरू किया था, लेकिन उसके बाद 2 भाइयों ने उसे एथलेटिक्स में शामिल होने के लिए राजी कर लिया. अरशद ने गांव के स्कूल में शॉटपुट, डिस्कस थ्रो के साथ-साथ हैमर थ्रो और लॉन्ग जंप में भी हाथ आजमाया.
पिता बोले- मेरे लिए ये पल सभी खुशियों से बढ़कर
पिता ने कहा कि अपने बेटे को सफलता प्राप्त करते देखना सभी खुशियों से बढ़कर है. पिता कहते हैं कि मेरे बेटे को मियां चन्नू कस्बे में एक नया घर मिला है, जो पूरी तरह से सुसज्जित है. मैंने जीवन भर मजदूरी की है, लेकिन देखिए मेरा बेटा कितना आगे निकल गया है.
बांस की छड़ी को बनाया था भाला
अरशद ने एक यूट्यूब चैनल पर बातचीत में कहा, मैं हमेशा से ही क्रिकेटर बनना चाहता था, लेकिन मेरे भाई मुझे एथलेटिक्स के लिए कहते थे, क्योंकि यह एक व्यक्तिगत खेल है. 2012 में में मैंने स्कूल में दौड़ के अलावा डिस्कस थ्रो, भाला फेंक जैसी स्पर्धाओं में भाग लिया.पंजाब में गांव के मैदान में सबसे पहले कोच राशिद अहमद साकी ने प्रशिक्षित किया था. 2014 में ही अरशद पहली बार पंजाब यूथ फेस्टिवल में भाग लेने के लिए लाहौर गए थे, उसके बाद उनके एक दोस्त ने उन्हें पाकिस्तान वॉटर एंड पावर डेवलपमेंट अथॉरिटी के ट्रायल में शामिल होने के लिए कहा. अरशद ने बताया कि एक समय था, जब मैं गांव के कारीगर के पास बांस की छड़ी लेकर जाता था और उसे भाले का आकार देने के लिए कहता था. साकी साहब मुझे घंटों बताते थे कि भाला फेंकने के लिए अपनी कोहनी का इस्तेमाल कैसे करना है और वह भाला फेंकने को गंभीरता से लेने की मेरी पहली यादें थीं. अरशद ने कहा कि एक एथलीट ने 60 मीटर की दूरी तक थ्रो किया था, लेकिन मैं इस बात पर अड़ा था कि मैं खाली हाथ घर नहीं जाऊंगा. मैंने अधिकारियों से एक महीने का समय देने का अनुरोध किया और बुखारी सर के साथ प्रशिक्षण के बाद मैं 65 मीटर की दूरी तक थ्रो करने में सक्षम हो गया, जिसके बाद मुझे WAPDA का अनुबंध मिला.